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- जब तीन दिन के बालक ने...
जब तीन दिन के बालक ने दी मां को मुखाग्नि, देखने वालों की आंखों में आ गए आंसू
खंडवा। जिसने भी यह देखा या सुना उसकी आंखें भर आईं। जिस बच्चे की आंखें भी नहीं खुली थी और उसने अपनी मां का दूध भी नहीं पिया था, उसे इस दुनिया में आते ही इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभाना पड़ी। खंडवा में तमाम रीति-रिवाजों के बीच तीन दिन के बेटे के हाथ लगवाकर मां को मुखाग्नि दिलाई गई।
राजा हरीशचंद्र मुक्तिधाम पर मंगलवार को बड़ा ही मार्मिक दृश्य नजर आया। प्रसूता की मौत के बाद तीन दिन के बालक के साथ पिता ने चिता को मुखाग्नि दी। तीन दिन के बालक को मुखाग्नि देते देखकर हर किसी की आंख से आंसू निकल पड़े। प्रसूता की सोमवार शाम इंदौर में इलाज के दौरान मौत हुई थी। खंडवा लेडी बटलर में भर्ती रहने के दौरान प्रसूता की हालत बिगड़ी थी। परिजन का आरोप है कि लेडी बटलर में इलाज के दौरान लापरवाही की गई और जब हालात बिगडऩे लगे तो तुरंत इंदौर रेफर कर दिया गया।
मंगलवार सुबह मृतक ममता उर्फ खुशी का अंतिम संस्कार राजा हरीशचंद्र मुक्ति धाम में किया गया। रामनगर से अंतिम यात्रा निकाली गई। अर्थी के आगे-आगे पिता राहुल उर्फ बंटी अपने तीन दिन के नवजात को गोद में लेकर चले। मुक्तिधाम में सारी क्रिया पूरी करने के बाद राहुल ने तीन दिन के नवजात के हाथ लगाकर पत्नी को मुखाग्नि दी। इस मार्मिक दृश्य को देखकर हर किसी की आंख से आंसू निकल पड़े।
चिकित्सा विभाग में ही लेखापाल आरसी पंचोरे की बहू ममता उर्फ खुशी पति राहुल पंचोरे (बंटी) को प्रसव पीड़ा के चलते लेडी बटलर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिजन का आरोप है कि लेडी बटलर की इंचार्ज डॉ. लक्ष्मी डुडवे ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया था। जिसके बाद अन्य डॉक्टर्स द्वारा 15 अगस्त दोपहर 12 बजे ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन में प्रसूता ने बालक को जन्म दिया। इस दौरान प्रसूता की हालत बिगडऩे लगी और वो बेहोश हो गई। दूसरे दिन 16 अगस्त शाम 5 बजे उसे होश आया तो मौजूद डॉक्टर्स ने उसे कुछ तरल पदार्थ देने को कहा। करीब आधे घंटे बाद प्रसूता की हालत बिगडऩे लगी।
प्रसूता के मामा ससुर सुनील आर्य ने बताया कि इस बात की जानकारी वहां मौजूद डॉक्टर को प्रसूता के साथ मौजूद उसकी सास ने दी। वहां मौजूद डॉक्टर ने प्रसूता की स्थिति गंभीर बताई। मामले की जानकारी मिलते ही अन्य परिजन भी लेडी बटलर अस्पताल पहुंच गए। सुनील आर्य का आरोप है कि वहां मौजूद डॉ. मोहित गर्ग ठीक से बात करने को भी तैयार नहीं थे। एक ही बात कह रहे थे कि वेंटिलेटर पर रखना पड़ेगा। परिजन ने मिन्नतें की तो भी डॉ. गर्ग बात करने के लिए भी तैयार नहीं हुए। इस दौरान हालत बिगड़ते देख रात 10 बजे परिजन वहां से रेफर कराकर इंदौर ले गए। सुनील आर्य ने बताया कि इस दौरान बहू का बीपी लो हो गया था। इंदौर में इलाज के दौरान सोमवार शाम को मौत हो गई।
प्रसूता के फेफड़ों में पानी चला गया था। लेडी बटलर और जिला अस्पताल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं थी। इस बात की जानकारी हमने प्रसूता के परिजन को दे दी थी। तुरंत ही रेफर की सारी कार्रवाई कराकर इंदौर इलाज के लिए भेजा गया था। वहां किस कारण से मौत हुई है, मेरी जानकारी में नहीं है।