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- मध्यप्रदेश में रोजगार...
हेमंत परिहार
सरकार जब युवाओं की बात करें तो समझ लीजिए कि प्रदेश में चुनावी सुगबुगाहट शुरू हो गयी, क्योंकि सरकार को युवाओं के हित की तब तक चिंता नहीं होती जब तक कि चुनाव निकट ना हो, पिछले 2-3 दिनों में चारों तरफ मध्यप्रदेश के जबरन बने मुख्यमंत्री के द्वारा एक झूठी ख़बर फैलाई जा रही है कि प्रदेश में सरकारी नौकरियों में प्रदेश के युवाओं की हिस्सेदारी शत्-प्रतिशत होगी। मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश के युवाओं को तो नौकरी तब तक देगी जब नौकरियाँ हों, अपनों के लिये नौकरियां हैं नहीं परायों की तो बात छोड़िए।
ये झूठ बोलकर सरकार प्रदेश में लाखों युवाओं की बेरोजगारी का मज़ाक बना रही है, ये सरकार का चुनावी घोषणा मात्र है इससे ज्यादा कुछ नहीं।
मध्यप्रदेश में रोजगार है कहाँ जो शिवराज सिंह देंगे, क्या प्रदेश वालों को देंगे क्या परायों को देंगे। काम धंधा है नहीं, नौकरी है नहीं देंगे कहाँ से???
मध्यप्रदेश में कोई रोजगार है तो वो है विधायकों को खरीदने का और उस धंधे में शिवराज जी के सब अपने लोग लगे हुए हैं।
तो ये कहना कि हम मध्यप्रदेश में नौकरी सिर्फ मध्यप्रदेश के युवाओं को देंगे तो ये बेईमानी है, शिवराज झूठ बोल रहे हैं...
मुख्यमंत्री की यह घोषणा बेहद लुभावनी और सिर्फ चुनावी घोषणा है इसे वर्तमान में धरातल पर उतारने में व्यवहारिक कठिनाइयों की अनदेखी की गई है| आज प्रदेश में लगभग 29 लाख युवा बेरोजगार हैं, आंकडा सरकारी पंजीकृत बेरोजगार युवाओं का है वास्तविकता और भी भयावह है...
पहले भी हुई हैं इस प्रकार की कोशिशें
दिग्विजय सिंह सरकार में शासकीय नौकरी के लिए 10वीं मप्र से होना अनिवार्य किया गया था, लेकिन इस आदेश पर भाजपा की सरकार आते ही रोक लगा दी गयी थी।
एमपीपीएससी में सामान्य ज्ञान के पेपर में 80% सवाल मप्र से जुड़े पूछने का प्रावधान किया गया, यह भी नहीं चल पाया।
अभी हाल ही में कमलनाथ सरकार ने भी स्थानीय रोजगार को लेकर बड़ा कदम उठाया था मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही कमलनाथ ने कहा था कि मध्यप्रदेश में ऐसे उधोगों को सरकारी छूट दी जाएगी जिनमें 70% नौकरी मध्य प्रदेश के लोगों को दी जाएगी, प्रदेश के लोगों को बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लोगों के कारण मध्यप्रदेश में स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती है, कमलनाथ के इस फैसले के बाद मध्य प्रदेश में भाजपा ने इस फैसले पर आपत्ति जताई थी।
ज्ञात हो कि प्रदेश की सीमा से लगे झारखंड में माननीय उच्च न्यायालय ने शासकीय नौकरियों में शत्-प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था की झारखंड सरकार की कोशिशों को असंवैधानिक मानते हुए राज्य शासन के आदेश पर रोक लगा दी थी एवं इसी तरह सिक्किम सरकार ने भी नौकरियों में 90 फीसदी आरक्षण देने की योजना बनाई थी जिसे महामहिम राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था।
पिछले 10-12 सालों में प्रदेश की जनसंख्या 20 प्रतिशत बढ़ी है जबकि सरकारी नौकरी 2.5% कम हुई है।
सरकारी नौकरियों में शत्-प्रतिशत म. प्र. के युवाओं की भागीदारी की बातें पूरे तरीके से असंवैधानिक हैं, लोकलुभावनी हैं, चुनावी घोषणा है।