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क्या दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया का इतिहास दोहराएंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया?
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के युवा नेता और ग्वालियर के महाराजा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुलाकात ने राजनैतिक सरगर्मी तेज कर दी है. इस मुलाकात ने कांग्रेस की सरकार पर और कमलनाथ दिग्विजय की जोड़ी पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिया है.
बात करें तो मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद पूर्व सीएम शिवराजसिंह जहाँ प्रदेश की राजनीति से बाहर कर दिए गये है तो कांग्रेस को प्रदेश में स्थापित करने वाले युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की एकता के कारण अपने को अकेला महसूस कर रहे है. ऐसे में इन दोनों नेताओं का मिलन सबको चौंका रहा है. इसके कई कयास भी लगाए जा रहे है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश की कमान जल्द सही फिर किसी दुसरे मुख्यमंत्री के हाथ लग सकती है.
वहीं कुछ लोंगों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में महाराजा बनाम शिवराज भी चला. जिसके चलते महाराजा अपनी लोकसभा क्षेत्र गुना की तीन विधानसभा भी हार गये. साथ ही सुनने में आ रहा है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शिवराज सिंह से लोकसभा चुनाव में गुना से तैयारी के लिए कहा है. एसी हालात में उनको अपना गढ़ बचाना एक चुनौती नजर आ रही है. अगर अमित शाह की बात सच निकली तो उनके लिए जीतना मुश्किल भी हो सकता है. तो शायद इस बात को लेकर भी मुलाकात संभव हो सकती है.
सबसे बड़ा सवाल यह भी उठता है कि कहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया की राह पर तो नहीं चल पड़े है. और उनका इतिहास दोहराने जा रहे हों. बताते है कि जब 1967 में अपने अपमान से तिलमिलाई राजमाता ने तत्कालीन द्वारका प्रसाद मिश्र की सरकार गिरवा दी थी. वह अपने साथियों समेत पार्टी से निकल गई और कांग्रेस देखती रह गई. अब यही हाल ज्योतिरादित्य सिंधिया का है. ज्योतिरादित्य सरकार में दिग्विजय सिंह के बढ़ते हस्तक्षेप से परेशान नजर आ रहे है. उनके साथ हर समय बीस विधायकों का समर्थन है.
इस मुलाकात पर पूर्व सीएम शिवराजसिंह ने कहा वह घर आये हमने अपने अतिथि के रूप में उनका पूरा स्वागत किया है. हमको अब चुनाव के बाद सिंधिया से कोई गिला शिकवा नहीं है.
वहीं इस मुलाकात पर सिंधिया ने कहा कि चुनाव में जो हुआ वो खत्म हुआ, रात गई बात गई, अब चूँकि कांग्रेस सत्ता में है तो हमारी जिम्मेदारी सबको साथ लेकर चलने की है. इसलिए सबसे अच्छे सम्बंध बने रहे इसलिए यह शिष्टाचार की मुलाकात थी.