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- चर्चा में हैं "वेशरम"...
भोपाल।यूं तो देश में तरह तरह के फूल पाए जाते हैं लेकिन मध्यप्रदेश में इन दिनों "वेशरम" का फूल काफी चर्चा में है। इस फूल की बजह से लोगों को हिरासत में लिया गया है।कुछ पर मुकदमें भी कायम किये गए हैं।इसकी मुख्य बजह है इस बेल को नेताओं से जोड़ दिया गया है।
वेशरम पिछले सप्ताह तब चर्चा में आई थी जब ग्वालियर में कांग्रेस के कुछ उत्साही कार्यकर्ताओं ने दौरे पर आए भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को ज्ञापन देने के बहाने रोक कर वेशरम के फूलों की माला पहना दी थी।बाद में जब यह पता चला कि माला तो वेशरम के फूलों की है तो हंगामा हो गया।
इसके बाद पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया जिन्होंने महाराज सिंधिया को वेशरम की माला पहनाई थी।
शुक्रवार को वेशरम भोपाल में भी चर्चा में आ गयी।कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ता पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों का विरोध करते हुये सांसद प्रज्ञा ठाकुर के घर की ओर जा रहे थे।उंन्होने हाथों में वेशरम के फूल और डालियां पकड़ रखीं थी।वे प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन प्रज्ञा को देना चाहते थे।
पुलिस ने वेशरम हाथ में पकड़े कांग्रेसियों को रास्ते में रोक लिया।इसी दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का काफिला वहां से गुजरा।उत्साही कांग्रेसियों ने मौके का फायदा उठाते हुये वेशरम की डंडियां मुख्यमंत्री की ओर भी लहरा दीं।बाद में उन सभी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
उल्लेखनीय है कि वेशरम के पौधे का अंग्रेजी नाम आईपोमियां फिशचुला है। इसे किसान अपने खेतों की मेढ़ों पर लगाते थे।इसकी बजह से मिट्टी का क्षरण रुक जाता है। ज्यादातर पानी वाली जगहों या दलदली इलाके में वेशरम की झाड़ियां पायीं जाती हैं।हालांकि आजकल इसका उपयोग किसान नही कर रहे हैं।
वनस्पति विशेषज्ञ सुदेश बाघमारे के मुताविक इस पेड़ की और कोई उपयोगिता नही है।चूंकि यह विपरीत परिस्थितियों में, बिना देखभाल के पनप जाती है,इसलिए इसे वेशरम नाम दे दिया गया है।भोपाल में लोग इसे दुल्हन की झाड़ी भी कहते हैं।पहले गांव में लोग इसकी लकड़ी का इस्तेमाल ईंधन के तौर पर भी करते थे।अब इसका वह उपयोग भी बंद सा है।
लेकिन अचानक मध्यप्रदेश में यह चर्चा में आ गयी है।माना जा रहा है कि दलबदल करने वाले सिंधिया को प्रतीक के तौर पर वेशरम के फूलों की माला पहनाई गयी थी।लेकिन लगता यह है कि आने वाले दिनों में वेशरम के फूलों की प्रासंगिकता बढ़ेगी।क्योंकि फिलहाल राजनीति हो या समाज यह शव्द काफी चर्चा में रहता है।