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ज्योतिरादित्य सिंधिया का विरोध करना पड़ा भारी, बीजेपी ने पूर्व सांसद को पार्टी से निकाला
इंदौर : अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए भाजपा ने पूर्व लोकसभा सांसद प्रेमचंद बौरासी गुड्डू को बुधवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया. गुड्डू पिछले कुछ दिनों से वरिष्ठ भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ लगातार तीखी बयानबाजी कर रहे हैं. भाजपा ने उन्हें 19 मई को नोटिस जारी कर कहा था कि वह इंदौर जिले के सांवेर विधानसभा क्षेत्र के आगामी उपचुनाव की पृष्ठभूमि में प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे हैं और उनका यह कृत्य घोर अनुशासनहीनता की परिधि में आता है. इस नोटिस के जवाब के लिये गुड्डू को सात दिन का वक्त दिया गया था.
भाजपा की इंदौर जिला इकाई (ग्रामीण) के अध्यक्ष राजेश सोनकर ने पीटीआई-भाषा को बताया कि तय समयसीमा में नोटिस का जवाब नहीं दिये जाने पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने गुड्डू को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है. उधर, गुड्डू ने इस कदम को बेमानी बताते हुए दावा किया कि वह राज्य की कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार के पतन से काफी पहले ही भाजपा छोड़ चुके हैं. उन्होंने कहा, 'मैं मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष को बाकायदा पत्र लिखकर स्पष्ट कर चुका हूं कि राज्य में (23 मार्च को) भाजपा की सरकार बनने से पहले ही मैं नौ फरवरी को इस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे चुका हूं. अब भाजपा मुझे निष्कासित किये जाने की बात कहकर मेरा राजनीतिक चरित्र हनन का प्रयास कर रही है. मैं इसके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करूंगा.'
गुड्डू, वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं और उनका लम्बा राजनीतिक जीवन कांग्रेस में ही गुजरा है. 59 वर्षीय दलित नेता के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि वह अगले महीने कांग्रेस में घर वापसी कर सकते हैं. गुड्डू के इस संभावित कदम को सांवेर विधानसभा सीट के आगामी उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट की दावेदारी से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां सत्तारूढ़ भाजपा सिंधिया खेमे के वफादार नेता तुलसीराम सिलावट को अपना उम्मीदवार बना सकती है.
सिलावट, शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई वाली मौजूदा राज्य सरकार में जल संसाधन मंत्री हैं. प्रदेश के नवंबर 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों से चंद रोज पहले गुड्डू अपने पुत्र अजीत बौरासी के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा के पाले में चले गये थे. भाजपा ने इन चुनावों में अजीत को पड़ोसी उज्जैन जिले की घट्टिया सीट से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार रामलाल मालवीय के हाथों चुनाव हार गये थे.