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मध्यप्रदेश में जनता का मुफ्त इलाज बन्द......जी हाँ यह सच है
इंदौर में एक ऐसा पायलट प्रोजेक्ट लागू होने जा रहा है जो अगर लागू कर दिया गया तो देश भर की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में आमूल चूल परिवर्तन ले आएगा गरीब आदमी अब सरकारी अस्पताल के सामने ही दम तोड़ देगा उसे अस्पताल में भर्ती भी नही किया जाएगा क्योंकि उसके पास पैसे नही है.
मध्यप्रदेश के सबसे बड़े सरकारी हस्पताल एम वाय हॉस्पिटल में मुफ्त इलाज की सुविधा खत्म की जा रही हैं. वजह यह बताई जा रही है कि कमलनाथ सरकार के पास मेडिकल कॉलेज को देने के लिए फंड ही नही है इसलिए इन कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा बंद करने का फैसला किया है। इस निर्णय से प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवायएच में भी मरीजों को इलाज और जांच का पूरा पैसा देना होगा। केवल उन मरीजों को रियायत मिलेगी, जिनके पास आयुष्मान योजना का कार्ड होगा, धीरे धीरे पूरे मध्यप्रदेश के सरकारी हस्पतालों में मुफ्त इलाज बन्द किये जाने की योजना है। बताया जा रहा है कि इंदौर से भाजपा सांसद शंकर ललवानी ने मप्र के सीएम कमलनाथ को इस सम्बंध में पत्र भी लिखा है।
अभी तक एमवाय हॉस्पिटल में 47 तरह की जांचें होती हैं, जिन पर मरीजों को एक पैसा नहीं देना पड़ता लेकिन अब इनके लिए 50 से 200 रुपए के चार्ज तय किया जा रहा है।
दैनिक भास्कर की यह खबर बताती है कि एमवायएच में मरीजों के इलाज, ऑपरेशन, ओपीडी के साथ डॉक्टरों, स्टॉफ के वेतन पर करीब 1 अरब रुपए साल के खर्च होते हैं। इसमें 20 करोड़ रुपए तो दवाइयों का ही खर्च है, जो मरीजों को मुफ्त मिलती है। राज्य सरकार के लिए यह पैसा जुटाना मुश्किल हो रहा है। यह शायद जीएसटी की व्यवस्था का आफ्टर इफेक्ट है जिसमे राज्य सरकार की स्थिति केंद्र सरकार के आगे भिखारी बन कर खड़े रहने की हो गयी है
अगर इस तरह की शुल्क लगाने की योजना पर अमल हो जाता है तो अगले चरण में सरकार मुफ्त दवाओं का बजट कम करने या उसका भी पैसा वसूलने का कदम उठा सकती है. यानी सरकार से मिलने वाली मुफ्त दवाइयां भी अगले चरण में बन्द किये जाने की योजना है.
मरीजों से वसूले जाने वाले शुल्क का निर्धारण कुछ इस तरह से किया जा रहा है कि यदि आयुष्मान योजना में किसी बीमारी की सर्जरी का खर्च यदि 36 हजार निर्धारित किया गया है तो उस सर्जरी का लगभग 60 प्रतिशत यानी लगभग 22 हजार रुपया मरीज को देना कम्पलसरी होगा वरना उसका इलाज नही किया जाएगा
कुछ मित्र इस योजना के समर्थन में यह तर्क दे सकते हैं कि आयुष्मान कार्ड धारकों को तो मुफ्त इलाज दिया जा रहा है लेकिन उन्हें यह जान लेना चाहिए कि आयुष्मान एक तरह की मुफ्त बीमा योजना है जो इलाज का कारपोरेट मॉडल है आयुष्मान स्कीम का मॉडल पूरी तरह से गलत है। मोदी सरकार कॉरपोरेट के दबाव में यह स्कीम लेकर आई है। सरकार का फोकस प्राइमरी हेल्थकेयर पर नहीं होकर बीमा कंपनी को लाभ पुहचाने का है,. दरअसल इस योजना में हर बीमारी का एक पैकेज डिसाइड कर दिया गया है यदि बीमारी उस पैकेज में निर्धारित खर्च की सीमा में सही हो जाती है तो ठीक नही तो आप स्वयं भुगतो, आयुष्मान कभी भी मुफ्त इलाज का विकल्प नही बन सकता है.
सामान्यतः सबसे खर्चीला इलाज कैंसर और न्यूरो सर्जरी का होता है। देश भर में कैंसर रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है . अगर यह योजना देश भर में लागू की जाती है तो गरीब आदमी जो कैंसर का पेशेंट है वह तो बेमौत मारा जाएगा?