इंदौर

BJP नेता कैलाश विजयवर्गीय ने 20 साल बाद ग्रहण किया अन्‍न, लिया था ये संकल्प जो अब हुआ पूरा

Arun Mishra
2 March 2020 9:40 AM GMT
BJP नेता कैलाश विजयवर्गीय ने 20 साल बाद ग्रहण किया अन्‍न, लिया था ये संकल्प जो अब हुआ पूरा
x

इंदौर : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) 20 साल पहले इंदौर के मेयर निर्वाचित हुए थे. उसी समय उन्हें किसी महात्मा ने बता दिया कि शहर में पितृ दोष है, जिससे इंदौर का विकास रुका हुआ है. इसके निवारण के लिए पितृ पर्वत पर भगवान हनुमान (Lord Hanuman) की प्रतिमा स्थापित कराने से ये दोष दूर हो जाएगा और तभी उन्होंने ये संकल्प ले लिया कि वे पितृ पर्वत पर हनुमान की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित कराएंगे और जब तक काम पूरा नहीं हो जाता तब तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगे.

यहां लगी हुनमान की प्रतिमा

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपने मेयर के कार्यकाल के दौरान हनुमान की प्रतिमा के प्राण-प्रतिष्ठा का संकल्प लिया और शहर की पुरानी देवधरम टेकरी पर पितृ पर्वत की शुरुआत कर दी. वहां लोगों से पूर्वजों की याद में पौधे लगवाना शुरू करा दिया और धीरे-धीरे ये पौधे पेड़ बनते गए. पिछले बीस साल में करीब एक लाख पेड़ यहां पर लगाए गए. इसके बाद भगवान हनुमान की अष्टधातु की प्रतिमा बनना शुरू हुई और ग्वालियर के 125 कारीगरों ने 7 साल में इस प्रतिमा को तैयार किया, जो फरवरी 2020 में स्थापित हो पाई है. इसका प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 24 फरवरी से चल रहा है, जो कि 3 मार्च खत्‍म होगा. यही नहीं, उस दिन नगर भोज का आयोजन किया गया है.

20 साल बाद अन्न ग्रहण करेंगे कैलाश विजयवर्गीय

इंदौर के पितृ पर्वत पर विराजित पित्रेश्वर हनुमान मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव चल रहा है जिसमें शामिल होने महामंडलेश्वर जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरी जी महाराज, संत मुरारी बापू और वृंदावन से महामंडलेश्वर गुरुशरणानंदजी महाराज भी पहुंच रहे हैं. उन्हीं के हाथों 20 साल बाद बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अन्न ग्रहण करेंगे. वे दो दशक से अन्न नहीं खा रहे थे और उन्होंने गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा, ज्वार समेत सभी दालों का त्याग कर दिया था. वे सिर्फ मोरधन, राजगिरा, साबूदाना, फल और सब्जियां ही खा रहे थे. इसमें मजेदार बात ये है कि विजयवर्गीय के अन्य त्यागने के बाद उनकी पत्नी आशा विजयवर्गीय ने मोरधन के 20 प्रकार के व्यंजन बनाना सीख लिए थे. शहर से बाहर रहने की स्थिति में वे सब्जी और फलों पर ही आश्रित रहते थे.

प्रतिमा पर खर्च हुए 15 करोड़ रुपए

पितृ पर्वत पर प्रदेश की सबसे बड़ी यानी 72 फीट की अष्टधातु की हनुमान प्रतिमा विराजित की गई है, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, जस्ता, सीसा, कैडियम जैसे अष्ट धातु को उपयोग किया गया है. इस प्रतिमा पर करीब 15 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. 108 टन वजनी इस प्रतिमा में 9 टन की गदा है जो 47 फीट लंबी है, वहीं 3 टन की उनकी छतरी है. इस छतरी पर 9 इंच आकार में 108 बार राम नाम गुदा हुआ है. हनुमान के हाथ में जो मंजीरे हैं, उनकी लंबाई 11 फीट है. भगवान राम की भक्ति में बैठे हनुमान की इस प्रतिमा के साथ 15x12 फीट की रामकथा भी तैयार की गई है. प्रतिमा के आसपास जर्मनी से दो करोड़ रुपए में लाईं गई लेजर लाइटें भी लगाई गई हैं जिनसे प्रतिमा के सीने पर हनुमान चालीसा का वर्णन चित्रमय दिखाई देता है.

Next Story