- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- इंदौर
- /
- जापान से इम्पोर्ट होने...
जापान से इम्पोर्ट होने वाला रेड जापानीज अमरूद अब इंदौर में भी होगा पैदा, देखकर ही चलेगा खाने का मन, जानिए क्या है खास
इंदौर कई सालों से इस मौसम में अमरूद खाने वाले मप्र के लोगों के लिए अब जापान से इम्पोर्ट होने वाला रेड जापानीज अमरूद अब मप्र में न केवल उपलब्ध है बल्कि इसकी खेती भी शुरू हो चुकी है। खास बात यह कि यह अमरूद भारत के अमरुदों की वैरायटियों से सबसे अलग है। साइज में बड़े इस अमरुद का भीतरी रंग तरबूज जैसा लाल सुर्ख है तथा बिना बीज वाला है। इस मौसम में इसकी कुछ आवक शुरू हो गई है तथा मप्र के किसानों का रुख भी इसकी खेती को लेकर बढ़ा है।
इंदौर के एग्रीकल्चर कॉलेज में आयोजित चार दिनी अंतर्राष्ट्रीय कृषि मेले में इस अमरूद की खेती से मप्र ही नहीं आसपास के राज्यों के किसानों में भी रुचि जागी है। फिलहाल इसकी खेती खाचरौद के मध्यांचल नर्सरी में हो रही है। इसके संचालक प्रो. मधुसूदन धाकड़ ने बताया कि दो साल पहले यह जापानीज रेड डायमण्ड अमरूद मप्र में आया था लेकिन अब मप्र में सबसे पहले इसी खेती खाचरौद में ही हो रही है तथा मंडियों में इसकी डिमांड बनी हुई है। इसकी खेती ग्राफ्टिंग प्रोसेस के तहत होती है। बीते दो सालों में मप्र के खाचरौद में सबसे पहले इसकी खेती की शुरुआत हुई। इसके बाद कुछेक अन्य स्थानों पर इसकी खेती शुरू हुई है। प्रो. धाकड़ के मुताबिक खाचरौद में करीब दो साल पहले उन्होंने इसकी खेती शुरू की। विशेष किस्म के ये अमरूद दो साल में उत्पादन देते हैं। इसमें केवल दो-तीन बीज ही होते हैं।
इन अमरुदों की खेती के लिए इन्हें उगाने के लिए पौधों की साइज डेढ़ से दो फीट तक रहती है जिसके लिए ग्राफ्टिंग प्रोसेस में यूज की जाती है।
- दो साल में इसकी अधिकतम ऊंचाई 6 से 7 फीट हो जाती है।
- दो साल बाद एक पेड़ में अधिसंख्य अमरूद आ जातें हैं।
- जिन स्थानों पर देशी अमरूदों की खेती होती है, इसकी भी खेती वहीं की जा सकती है। इसमें टेम्प्रेचर को लेकर किसी प्रकार की अनिवार्यता नहीं है।
- इन्हें स्पेशल पैकिंग के तहत 10 किलो के बॉक्स में पैक किया जाता है।
- इसकी डिमांड दिल्ली, पूणे, मुंबई, बेंगलूर आदि शहरों में ज्यादा है। इंदौर से ये अमरूद वहीं भेजे जाते हैं।
- इंदौर की चोइथराम मण्डी में भी अब ये अमरूद उपलब्ध हैं लेकिन अन्य शहरों में डिमांड ज्यादा होने से इंदौर सहित प्रदेश के अन्य शहरों में कम मात्रा में हैं।
- बाजार में आने के बाद इन जापानीज रेड डायमंड अमरूद की कीमत 100 से 150 रु. प्रति किलो है जबकि देशी अमरूद 60 रु. प्रति किलो है।
पल्स इण्डस्ट्रीज में इसका भरपूर उपयोग !!