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- जब सामूहिक विवाह में...
जब सामूहिक विवाह में कराया गया दुल्हनों का प्रेग्नेंसी टेस्ट! फिर हुआ ये चौंकाने वाला खुलासा, अधिकारियों के उड़े होश!
मध्यप्रदेश के डिंडोरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आयोजित सामूहिक विवाह में शादी के लिए पहुंची कुछ लड़कियों की प्रेग्नेंसी की जांच (Pregnancy Test) कराई गई, जिस पर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है. सामूहिक विवाह से पहले कन्याओं का प्रेगनेंसी टेस्ट पर भड़की कांग्रेस ने मध्यप्रदेश सरकार पर निशाना साधा है और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने मामले की जांच की मांग की है. इसके साथ ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भी इसे महिलाओं का अपमान करार दिया है और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है. हालांकि, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने इससे इनकर किया है.
बताया जा रहा है कि 22 अप्रैल को मध्यप्रदेश को डिंडोरी के गाड़ासरई कस्बे में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह का आयोजन हुआ था, जिसमें 219 लड़कियों का प्रेगनेंसी टेस्ट कराया गया था. टेस्ट के बाद प्रेग्नेंट मिलीं 4 दुल्हनों को सामुहिक विवाह में शामिल नहीं किया गया. बता दें कि इस सामूहिक विवाह समारोह में लड़कियों के प्रेग्नेंसी टेस्ट कराए जाने के आरोपों के बाद तरह तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं.
जिलाधिकारी ने दी मामले पर सफाई
प्रशासन का बचाव करते हुए डिंडोरी के जिलाधिकारी विकास मिश्रा ने बताया कि गाड़ासरई में सामूहिक विवाह में शामिल होने वाले 219 जोड़ों के लिए मेडिकल परीक्षण के द्वारा जेनेटिक बीमारी 'सिकलसेल' की जांच कराए जाने के निर्देश दिए गए थे. उन्होंने कहा, 'सिकलसेल बीमारी की जांच के दौरान चिकित्सकों ने चार लड़कियों का गर्भावस्था परीक्षण किया गय, क्योंकि उन्होंने पीरियड नहीं आने की बात बताई थी. इसको लेकर प्रशासन स्तर से कोई निर्देश नहीं दिए गए थे. यह डॉक्टर्स पर निर्भर है कि वे सिकलसेल की बीमारी का पता करने के लिए क्या प्रक्रिया और जांच करवाते हैं. डॉक्टर की रिपोर्ट के बाद ऐसे चार जोड़ों को सामूहिक विवाह में शामिल नहीं किया गया.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने इस मामले की जांच की मांग की है और साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान से पूछा हैं कि मध्यप्रदेश की बेटियों का ऐसा घोर अपमान किसके आदेश पर किया गया? उन्होंने कहा, 'मैं मुख्यमंत्री से जानना चाहता हूं कि क्या यह समाचार सत्य है? यदि यह समाचार सत्य है तो मध्यप्रदेश की बेटियों का ऐसा घोर अपमान किसके आदेश पर किया गया? क्या मुख्यमंत्री की निगाह में गरीब और आदिवासी समुदाय की बेटियों की कोई मान मर्यादा नहीं है?'