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Coronavirus से जंग पर बोले शिवराज, इलाज में योग-मंत्र-जप-संगीत-हर्बल काढ़ा जैसे अल्टरनेट भी अपनाएं
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को आध्यात्मिक गुरुओं और आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के सदस्यों के साथ 'COVID-19 की चुनौतियां और एकात्म बोध' विषय पर चर्चा की.
इस दौरान उन्होंने कहा कि COVID-19 जैसी चुनौतियों से निपटने में इलाज की भारतीय पद्धति का भी उपयोग किया जाना चाहिए. आज जिस तरह इस रोग ने पूरे विश्व को दुख में डाल दिया है, उससे यह सवाल खड़ा हुआ है कि उपचार में किस तरह योग, मंत्र और संगीत का उपयोग किया जाए. रोगी का मनोबल बढ़ाने के लिए क्या प्रयास हों. कई रोग स्नेह से ठीक होते हैं लेकिन COVID-19 जैसे रोग के लक्षण वाले बालक को उसकी मां ही सिर पर हाथ नहीं रख सकती.
उन्होंने कहा कि रोगी के इलाज की प्रचलित विधियों के साथ ही भारतीय परंपरा में विद्यमान मौलिक विधियों को उपयोग में लाया जा सकता है. एक स्थिति रोग होने के बाद इलाज की होती है. दूसरी स्थिति यह होती है कि शरीर को इतना रोग प्रतिरोधी बना दिया जाए कि रोग पास ही न आए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में आयुर्वेद के विद्वानों, प्राकृतिक चिकित्सा के जानकारों, आध्यात्मिक गुरुओं और अलग-अलग वर्गों से विचार-विमर्श कर समाधान का मार्ग निकाला जाना चाहिए.
सीएम शिवराज सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शंकराचार्य जयंती पर आध्यात्मिक गुरुओं से बातचीत के दौरान कहा कि COVID-19 की चुनौती से निपटने में मध्य प्रदेश में आयुर्वेदिक काढ़े के उपयोग की बात अन्य प्रांतों तक पहुंची है. निश्चित ही इस उपयोगी काढे़ के बढ़े उपयोग पर ध्यान दिया जा सकता है.
एक करोड़ लोगों को आयुर्वेदिक काढ़ा
सीएम शिवराज ने बताया कि जीवन अमृत योजना में आयुष विभाग की मदद से मध्य प्रदेश लघु वनोपज संघ ने आयुर्वेदिक काढ़ा के 50-50 ग्राम के पैकेट्स तैयार किए हैं. ये पैकेट्स ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में लगभग एक करोड़ व्यक्तियों को फ्री बांटे जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस हर्बल काढ़े को बनाने की विधि बहुत सरल है. पीपल, सोंठ एवं कालीमिर्च को समान मात्रा में मिलाकर, कूटकर तैयार किए जाने त्रिकटु चूर्ण को 3-4 तुलसी के पत्तों के साथ एक लीटर पानी में उबालना होता है. जब पानी आधा रह जाता है, तब ये काढ़ा तैयार हो जाता है. एक-एक कप कुनकुना काढ़ा दिन में तीन से चार बार पिया जा सकता है. यह किसी रोग के न होने पर भी यह उपयोगी है और शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता को मजबूत करता है.