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- एक बार फिर बोलीं...
मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और एक जमाने में भाजपा की वरिष्ठ नेता रही उमा भारती एक बार फिर चर्चा में हैं।चर्चा की बजह है उमा का वह बयान जो उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष के ससुराल पक्ष को लेकर दिया है।भाजपा ही नही अन्य दलों के नेता भी यह जानना चाह रहे हैं कि आखिर उमा भारती ने उस मुद्दे को क्यों उठाया जिसका फिलहाल कोई औचित्य नही था।
उमा इस समय भोपाल में हैं।रविवार को उन्होंने तीन ट्वीट किए।पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा-मैं पिछले कुछ दिनों से मध्यप्रदेश में हूं।एक विषय मेरी जानकारी में आया है।जिस पर मैं कुछ जानकारी आपसे साझा कर रही हूं।उन्होंने आगे लिखा-मध्यप्रदेश में कुछ दिनों से कुछ घिनौनी और ओछी मानसिकता वाले लोगों ने यह दुष्प्रचार करने का असफल प्रयास किया कि बनर्जी परिवार और मिश्रा परिवार की भाजपा में हैसियत उनके रिश्तेदारों की बजह से है।
जबकि हकीकत इसके विपरीत है।भाजपा के लिए इन दोनों परिवारों का योगदान लंबे समय से है।यह हाल का संयोग है कि इन परिवारों की बेटियों के विवाह भाजपा नेताओं से हुए हैं।इसको गलत तरीके से दुष्प्रचारित करना निंदनीय है। उमा के इन ट्वीट्स ने भाजपा में सनसनी फैला दी है।सब यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर उमा ने भाजपा नेताओं की निजी जिंदगी से जुड़ा मुद्दा क्यों उठाया है।उनकी इस मुहिम का असली उद्देश्य क्या है।
आगे बात करने से पहले इस ट्वीट संदर्भ जान लीजिये। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की ससुराल मध्यप्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर शहर में है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सास श्रीमती जयश्री बनर्जी भाजपा की बड़ी नेता रही हैं।वह लोकसभा में जबलपुर का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं।नड्डा का विवाह तब हुआ था जब वह विद्यार्थी परिषद में काम कर रहे थे।उनकी पत्नी भी परिषद में सक्रिय थीं।उनका विवाह परिजनों की मर्जी से हुआ था।
यह भी संयोग है कि विद्यार्थी परिषद से होते हुए प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे विष्णुदत्त शर्मा की ससुराल भी जबलपुर में है।हालांकि उनकी शादी कोई तीन साल पहले ही हुई है।वह पिछले दिनों एक पुत्री के पिता बने हैं।शर्मा की सास श्रीमती कांति मिश्रा भी जबलपुर में ही रहती हैं।वह लंबे समय से प्रदेश भाजपा से जुड़ी हुई हैं। भाजपा नेताओं की ससुराल के बारे में लगभग सभी भाजपा नेता और कार्यकर्ता जानते हैं।लेकिन इस मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा कभी नही हुई। न ही किसी ने इस बात को लेकर कभी कोई सवाल उठाया।
ऐसे में सवाल यह है कि आखिर उमा भारती ने अचानक यह मुद्दा क्यों उठाया है।भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की माने तो उमा भारती इन दिनों खाली हैं।इस लिए वे छटपटा रही हैं।भाजपा नेतृत्व ने उन्हें पूरी तरह घर बैठा दिया है।आज उनके पास कोई पद नही है। न ही संसद और विधानसभा की सदस्यता ही बची है।ऐसे में वे चर्चा में रहने के लिये इस तरह के मुद्दे उठा रही है।
आपको याद होगा कि कुछ महीने पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कई ट्वीट किए थे।तब वे उत्तराखंड में थीं।बहुत कुछ लिखा था उन्होंने।लेकिन मोदी शाह की जोड़ी ने उन्हें भाव नही दिया।अब वे नड्डा और शर्मा के बारे में ट्वीट करके चर्चा में आना चाहती हैं।लेकिन उन्होंने जो मुद्दा उठाया है वह औचित्यहीन है।क्योंकि इस बारे में सब जानते हैं।कभी किसी ने यह मुद्दा नही उठाया।ऐसा लगता कि उमा भारती इसकी आड़ में खुद को नड्डा और शर्मा का हितैषी सावित करना चाहती हैं। जबकि एक अन्य नेता कहते हैं-आखिर अब उमा भारती करें तो क्या करें।इसलिए वे ट्वीटर पर चहचहाती रहती हैं।
उधर कांग्रेस नेता मानते हैं कि उमा भारती को भाजपा बहुत ही अपमानित कर रही है।कांग्रेस महासचिव राजीव सिंह के मुताविक भाजपा नेतृत्व को सन्यासिन का सम्मान करना चाहिए।उन्होंने बहुत कुछ किया है भाजपा के लिए।यह दुखद संयोग है कि एक ओर भाजपा नेतृत्व पिछड़े वर्ग का हितैषी होने का ढिंढोरा पीट रहा है वहीं दूसरी ओर इस वर्ग की वरिष्ठ नेता की घोर उपेक्षा कर रहा है।यही भाजपा का असली चरित्र है।
उधर भाजपा नेताओं का एक वर्ग इस पूरे मुद्दे पर मजे ले रहा है।कुछ लोग इस छोटी से बात को मुद्दा बनाने के लिए उमा की तारीफ कर रहे हैं।लेकिन रेकॉर्ड पर बात नही कर रहे। फिलहाल उमा चर्चा में हैं।उनकी अगली मुहिम का इंतजार है!