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रतलाम के युवा वैज्ञानिक हिमांशु का भी है चंद्रयान-2 की सफलता में अहम योगदान, जानिए- क्या?
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने चंद्रयान-2 की लॉन्च रिहर्सल पूरी कर के भारत का दूसरा मून मिशन आज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 02.43 मिनट पर ISRO ने श्रीहरिकोटा से ये मिशन लॉन्च कर दिया गया। चंद्रयान-2 अभी शुरुआती दौर में हैं। ISRO की तरफ से कहा गया है कि अभी रॉकेट की गति बिल्कुल सामान्य है, यानी अभी ये यान इसरो की प्लानिंग के हिसाब से ही चल रहा है। लॉन्चिंग के बाद वैज्ञानिकों ने तालियां बजाकर मिशन का स्वागत किया, ISRO के चेयरमैन के. सिवन ने स्पेस सेंटर से ही इस बात का ऐलान किया।
चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लांच में मध्यप्रदेश के रतलाम के रहने वाले युवा वैज्ञानिक हिमांशु शुल्का का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। वे देश के उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में शामिल हैं, जिन्हें इसरो ने अपने इस महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लिए चुना था। रतलाम नगर के अलकापुरी ए-सेक्टर में रहने वाले वकील चन्द्रशेखर शुक्ला के सुपुत्र हिमांशु इसरो में वैज्ञानिक हैं। चंद्रयान-1 में उन्होंने बूस्टर तैयार करवाने में योगदान दिया है। किसी भी रॉकेट में बूस्टर प्रेशर बनाते हैं, जिसके माध्यम से रॉकेट ऊपर जाता है।
हिमांशु ने उज्जैन से केमिकल ब्रांच से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और उसके बाद उन्होंने टीसीएस की नौकरी कर ली। कुछ ही समय बाद इसरो में युवा वैज्ञानिक के दो पदों पर भर्ती निकली, जिसमें हिमांशु ने आवेदन किया और पहले ही प्रयास में उनका चयन हो गया। इसरो ने उन्होंने मंगयलान मिशन में शामिल किया। इस मिशन में उन्होंने 30-30 घंटे काम कर इसे सफल बनाने में अपना योगदान दिया। इसके लिए रतलाम में उनके माता-पिता को बधाइयां मिल रही हैं।
बतादें कि कल यानी रविवार की शाम छह बजकर 43 मिनट पर प्रक्षेपण के लिए 20 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हुई थी। इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले 'चंद्रयान-2' के साथ रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा। स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर 'विक्रम' और दो पेलोड रोवर 'प्रज्ञान' में हैं।