महाराष्ट्र

जानिए- कौन हैं महाराष्ट्र डीजीपी की कुर्सी संभालने वाले हेमंत नागराले

Arun Mishra
8 Jan 2021 3:42 AM GMT
जानिए- कौन हैं महाराष्ट्र डीजीपी की कुर्सी संभालने वाले हेमंत नागराले
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हेमंत नागराले 1987 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं

महाराष्ट्र : सीनियर आईपीएस ऑफिसर हेमंत नागराले को महाराष्ट्र के डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. दरअसल, राज्य के डीजीपी सुबोध कुमार जायसवाल को डीजी, सीआईएसएफ नियुक्त किए जाने के बाद से ये पद खाली था. नवंबर में ही सुबोध कुमार के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (central deputation) को मंजूरी दे दी गई थी.

अब महाराष्ट्र में डीजीपी का कार्यभार हेमंत नागराले सभालेंगे. हेमंत नागराले 1987 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र पुलिस में डीजीपी लीगल एंड टेक्निकल हैं. हेमंत नागराले साल 2016 में नवी मुंबई के पुलिस आयुक्त भी रह चुके हैं. अंडर -17 फुटबॉल वर्ल्ड कप और पॉप गायक जस्टिन बीबर के कार्यक्रम के आयोजन में अच्छी कानून-व्‍यवस्‍था को लेकर उनकी काफी सराहना हुई थी.

नागराले जूडो में ब्लैक बेल्ट हैं

हेमंत नागराले ने VNIT नागपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है. मास्टर ऑफ फाइनेंस मैनेजमेंट (JBIMS, मुंबई) में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. पुलिस में अपनी सेवा के दौरान उन्हें राष्ट्रपति के पुलिस पदक और विश्व सेवा पद से भी सम्मानित किया जा चुका है. नागराले जूडो में ब्लैक बेल्ट हैं.

पहली नियुक्ति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हुई थी

नागराले को पहला कार्यभार (1989-92) नक्सल प्रभावित चंद्रपुर जिले के राजुरा (Rajura) में बतौर एएसपी मिला था. उन्होंने सीबीआई (मार्च 1998- सितंबर 2002) को भी अपनी सेवाएं प्रदान की हैं. सीबीआई में रहते हुए वो केतन पारेख घोटाला, माधोपुरा Co-op Bank घोटाला (1800 करोड़) और हर्षद मेहता केस 2001 (400 करोड़) की जांच में भी शामिल थे.

दो दिन में किया था लूट का खुसासा

हेमंत नागराले जब नवी मुंबई के पुलिस आयुक्त थे तब वाशी इलाके के बैंक ऑफ बड़ौदा में चोरी की बड़ी वारदात हुई थी. इस मामले में हेमंत नागराले की टीम ने सिर्फ 2 दिनों के भीतर इस लूट का भंडाफोड़ किया था.

हालांकि नवी मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहते हुए साल 2018 में हेमंत नागराले का निलंबन भी किया गया था. विधान परिषद की मंजूरी न लेते हुए उन्होंने शेकाप पार्टी के MLA जयंत पाटिल के खिलाफ केस दर्ज किया था. बता दें कि विधान परिषद के सभापति की मंजूरी लिए बिना किसी भी MLA पर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है.

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