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- आरक्षण की गोपनीय...
मुंबई, 15 नवंबर । पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से गुरुवार को मराठा और धनगर समाज के आरक्षण को लेकर रिपोर्ट राज्य सरकार के समक्ष पेश किए जाने से पहले ही इस रिपोर्ट के लीक हो जाने पर राजनीति शुरू हो गई है। मराठा समाज के आरक्षण के संदर्भ में कुछ चैनलों के पास रिपोर्ट की गोपनीय रिपोर्ट होने का दावा किया गया था। पुणे के तलेगांव दाभाड़े नगर परिषद में स्वच्छता व सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के सभापति सुशील सैंदाणे ने कहा है कि जब रिपोर्ट अत्यंत गोपनीय थी, तो चैनलों के पास कैसे पहुंच गई। इस मामले की जांच होनी चाहिए और संबंधित अधिकारियों या विभाग पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
बता दें कि मराठा आरक्षण को लेकर सभी नेताओं के बीच आम सहमति बनती दिखाई दे रही है। मराठा समाज के आरक्षण को लेकर कई आंदोलन हो चुके हैं। धनगर समाज की ओर से भी पिछले कई साल से आररक्षण की मांग की जा रही है। लेकिन पिछले साढ़े चार साल से राज्य सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से गुरुवार को मराठा आरक्षण की रिपोर्ट सरकार के पास पेश की गई। लेकिन उससे पहले ही कुछ चैनलों ने भी इस रिपोर्ट के लीक हो जाने का दावा किया था।
पुणे के तलेगांव दाभाड़े नगर परिषद में स्वच्छता व सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के सभापति सुशील सैंदाणे ने विरोध जताते हुए कहा है कि 15 नवंबर को आयोग की ओर से अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार के मुख्य सचिव के पास पेश की जानी थी, लेकिन उससे पहले ही यह रिपोर्ट लीक हो गई। यह अत्यंत गोपनीय दस्तावेज हैं। चैनलों के पास यह रिपोर्ट आ जाने से गोपनीयता की शर्त का उल्लंघन हुआ है। इस मामले की जांच कराई जानी चाहिए। यह रिपोर्ट चैनलों के पास कैसे पहुंची, इसमें किस अधिकारी या आयोग के सदस्य शामिल हैं, इसका खुलासा सरकार को करना चाहिए।
बताया जा रहा है कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने आरक्षण कोटे में वृद्धि की सिफारिश की है। आय़ोग ने मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण में से मराठा समुदाय को समायोजित करने की सिफारिश की है। इससे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित 27 प्रतिशत कोटे पर कोई असर नहीं पड़ेगा और मराठा समुदाय को आरक्षण का लाभ भी मिल सकेगा। हालांकि आरक्षण कितना प्रतिशत होना चाहिए, इसकी सिफारिश करने का अधिकार आयोग के पास नहीं है। आरक्षण देने का निर्णय केवल राज्य सरकार ही ले सकती है। मराठा समाज पिछड़े वर्ग में शामिल हो सकता है या नहीं, इसे साबित करने का ही अधिकार आयोग को है।
बताया जा रहा है कि आगामी चुनावों को देखते हुए मुख्यमंत्री पर मराठा और धनगर आरक्षण को लागू करने का राजकीय दबाव डाला जा रहा है। इसे देखते हुए उन्होंने आयोग के अध्यक्ष को फोन भी किया था और ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप न करते हुए मराठा समाज के आरक्षण देने की सूचना दी थी। लेकिन इस सुझाव को आयोग ने खारिज कर दिया है।