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कृषि प्रधान भारत देश में किसानों की आत्महत्या के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार - अन्ना हजारे

कृषि प्रधान भारत देश में किसानों की आत्महत्या के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार - अन्ना हजारे
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अन्ना हजारे ने कहा कि किसानों के खेती पैदावारी को खर्चेपर आधारित सही दाम मिले, इसलिए राज्य में कृषि मूल्य आयोग स्थापित किया है।
अन्ना हजारे ने कहा कि किसानों के खेती पैदावारी को खर्चेपर आधारित सही दाम मिले, इसलिए राज्य में कृषि मूल्य आयोग स्थापित किया है। राज्यों के सभी कृषि विद्यापीठ, कृषि विशेषज्ञ, वैज्ञानिक किसानों के खेती उपज के हर फसल पर शास्त्रीय तरिके से और किसानों के अनुभव के आधार पर अध्ययन करते है। इस अध्ययन के माध्यम से हर फसल उपज पर कितना खर्चा आता है?और उसे खर्चे पर आधारित कितना दाम मिलना चाहिए, इसकी फसलवार रिपोर्ट केंद्रीय कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) को भेजती है।
अन्ना हजारे ने कहा कि केंद्रीय कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) ने राज्य से आये कृषिमूल्य आयोग के अहवाल पर अध्ययन करना चाहिए। अध्ययन कर के कृषि उपज के मूल्य निर्धारित करना चाहिए। अगर राज्य कृषि मूल्य आयोग के अहवाल पर कोई संदेह है तो, उसके निवारण के लिए दोनों आयोगोंने विचारविमर्श कर के किसानों के कृषि उपज के दाम खर्चे पर आधारित निश्चित करना जरूरी है।
अन्ना हजारे ने कहा कि पिछले दस साल के राज्य कृषिमूल्य आयोग ने भेजे हुए अहवाल में केंद्रीय कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) ने 30 से 50 प्रतिशत कटौती की हुई दिखाई देता है। एक से पांच प्रतिशत फर्क पड़ सकता है। लेकिन 30 से 50 प्रतिशत फर्क नहीं हो सकता। केंद्रीय कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) केंद्रीय कृषि विभाग के अधीन होने के कारण केंद्रीय कृषिमंत्री और कृषि विभाग भी जिम्मेदार है।
अन्ना हजारे ने कहा कि देश में लाखो किसानों ने आत्महत्या की है। क्योंकी खेती उपज पर किसान खर्चा करता है। कृषि उपज के लिए केंद्रीय कृषि विभाग के गलती के कारण किसानों को खर्चे पर आधारित दाम नहीं मिलते और उसके जीवन में निराशा आती है। इस कारण किसान आत्महत्या करता है। इससे यह स्पष्ट होता हैं की, आज तक देश में लाखों किसानों ने जो आत्महत्या की उसके लिए केंद्रीय कृषि विभाग जिम्मेदार है। ऐसी हमारी धारणा है। स्वामिनाथन आयोग ने अध्ययन कर के अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। उस पर निर्णय नहीं हो रहा है। चुनाव के वक्त देश की जनता को आश्वासन दिया गया था की, हम सत्ता में आते है तो स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट पर अमल करेंगे। लेकिन अब साडेतीन साल के बाद भी उसपर अमल नहीं हुआ है। यह देश के किसानों के साथ धोखाधडी है।
अन्ना हजारे ने कहा कि मैने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को 11 दिसंबर 2017 को पत्र लिखा लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। वास्तव में किसान आत्महत्या करने का कारण क्या है? इसकी जाँच प्रधानमंत्रीजीने करनी जरूरी है। एक तो केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में जितना निवेश बढाना चाहिए उतना औद्योगिक क्षेत्र के तुलना में नहीं बढ़ाती है। इस कारण कृषि और किसानों का औद्योगिक क्षेत्र के तुलना में विकास नहीं होता। कृषिप्रधान भारत देश में औद्योगिक क्षेत्र के तुलना में कृषि क्षेत्र के लिए निवेश बढ़ाना जरूरी है।
अन्ना हजारे ने कहा कि किसान नई तकनिक, ड्रीप इरिगेशन, स्प्रिंकलर इरिगेशन जैसे साधन अपनाता है। और अपनी खेती उपज मतलब देश की उपज बढ़ाने का प्रयास करता है। सरकार ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर जैसे उपकरणों पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. टैक्स लगाती है। वास्तव में कृषि उपज बढ़ानेवाले साधनों पर जी.एस.टी. टैक्स नहीं लगाना चाहिए। इस प्रकार जीएसटी लगाकर कृषि प्रधान भारत देश में सरकार किसानों पर अन्याय करती है। एक बात स्पष्ट दिखाई देती है की, केंद्र सरकार जितनी चिंता उद्योगपतीयों की करती है उतनी चिन्ता किसानों की नहीं करती है। जब उद्योगपतियों का कर्जा माफ किया जाता है तो किसानों का कर्जा माफ क्यों नहीं किया जाता?
अन्ना हजारे ने कहा कि अब तक केंद्र की सरकारों को भरोसा नहीं है की, देश में आधुनिक तकनिक का उपयोग कर के कृषि उपज बढ़ाया जाता हैं। और अगर साथ साथ गांव गांव में, घर घर में दुग्ध विकास विकसित हो गया तो महात्मा गांधीजी ने जिस भारत का सपना देखा था वह भारत निर्माण होगा। गांव में हाथ के लिए काम, पेट के लिए रोटी गांव में ही मिल सकती है। अगर ऐसा होता हैं तो गांव के लोग शहर की तरफ नहीं जायेंगे। प्रकृति और मानवता का दोहन नहीं होगा। ऐसा महात्मा गांधीजी कहते थे। लेकिन ऐसा हुआ तो शहरों में उद्योगपतियों का क्या होगा? ऐसी चिन्ता सरकार को होती होगी, ऐसा लगता है। इसलिए कृषि क्षेत्र विकास के बारे में निर्णय नहीं लेते। वास्तविक हमें इस्त्राईल का अनुकरण करना आवश्यक है। इस्त्राईलने कृषि क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दे कर दुनिया के कई देशों का मार्केट काबिज किया हैं। हमारे देश की भूमि इस्त्राईल से अच्छी है। इस्त्राईल से जादा पानी प्रकृतिने हमें दिया है। देश में कई जगह के जो प्रयोग हुए है उनका अध्ययन करना चाहिए की, कृषि उपज से गांव का विकास कैसे होता है? हाथ के लिए काम मिलने से बेरोजगारी का प्रश्न छुट सकता है। प्रकृति और मानवता का दोहन ना करते हुए गांव की अर्थ व्यवस्था बदल सकती है। जबतक गांव की अर्थव्यवस्था नहीं बदलेगी तब तक देश की अर्थव्यवस्था नहीं बदल सकती। जो महात्मा गांधीजी कहते थे। देश में उनके विचारों पर अमल नहीं होता है। कई जगहों पर प्रत्यक्ष संशोधन भी हुए है। लेकिन सरकार को देखने की दृष्टी ना होने के कारण और स्मार्ट व्हिलेज के बजाए स्मार्ट सिटी की सोच के कारण देश के किसानों की यह हालत बन गई है। आजादी के बाद हमारे कृषि प्रधान देश में इस्त्राईल के मुताबिक कृषि पर लक्ष केंद्रीत कर के नई-नई तकनिक का इस्तमाल कर के कृषि विकास किया जाता तो हमारा देश बहुत आगे जा सकता था।
अन्ना हजारे ने कहा कि देश में बढ़ती बेरोजगारी के समस्या के लिए बड़ी बड़ी इंडस्ट्री इतना ही पर्याय नहीं है। इंडस्ट्री का विकास यह शाश्वत विकास नहीं है। इससे कभी ना कभी विनाश होगा। पैरिस परिषद में दुनिया के नेताओंने चिंता जताई की, अब धरती का क्या होगा? उसका कारण है की हम प्रकृति का दोहन कर के विकास का सपना देख रहे है। हम हजारो नहीं, लाखों नहीं, करोड़ टन पेट्रोल, डिझ़ल, कोयला जला रहे है। आज़ादी के बाद देश में कृषि विकास पर अधिक ध्यान दिया होता तो, समुद्र में जैसे पानी की भर्ती आती है वैसे लोगों की भीड़ आकर शहरों की समस्याये बढ़ती जा रही है। वास्तविक यह समस्या नहीं बढनी चाहिए। लेकिन दिनबदिन वह बढती ही जा रही हैं। एक दिन यह समस्याएं सरकार के काबू से बाहर जा सकती है। शहरों को पिने का पानी डैम से मिलता है। वह डैम मिट्टी से भरते जा रहे हैं। डैम के पानी की संचयन क्षमता कम होते जा रही है। साथ साथ शहरों के गंदे और दूषित पानी से लोगोंमें बिमारीयाँ बढ़ रही हैं। मैंने अनुभव के आधार पर यह बाते कही हैं।
अन्ना हजारे ने कहा कि यह देश मेरा है ऐसी धारणा सरकार चलानेवालों की दिखाई नहीं देती। इसलिए सिर्फ पैसा, सत्ता, पक्ष- पार्टी इनके हित की सोच जादा हैं। मैने अपना जीवन समाज और देश के लिए समर्पित किया है। इसलिए किसान और जनता पर होनेवाला अन्याय मुझसे सहन नहीं होता। इसलिए 23 मार्च 2018 को दिल्ली में सत्याग्रह शुरू करने जा रहा हूँ।
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