पुणे

महाराष्ट्र के जलगांव की मस्जिद में कलेक्टर ने नमाज अदा करने पर लगाई रोक, मामला हाईकोर्ट पहुंचा

Shiv Kumar Mishra
16 July 2023 11:08 AM GMT
महाराष्ट्र के जलगांव की मस्जिद में कलेक्टर ने नमाज अदा करने पर लगाई रोक, मामला हाईकोर्ट पहुंचा
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collector bans offering namaz in masjid of jalgaon maharashtra

महाराष्ट्र के शहर जलगांव में स्थित एक प्राचीन मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. जिला प्रशासन ने यहां नमाज अदा करने पर रोक लगा दी है. इस बीच जलगांव की जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष अल्ताफ खान नय्यूम खान के माध्यम से बॉम्बे हाई कोर्ट का रूख किया है. खान ने हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ से कलेक्टर द्वारा पारित उस अंतरिम आदेश को रद्द करने की मांग की है जिसके द्वारा लोगों को एक मस्जिद में नमाज अदा करने से रोका गया था. यहां आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत धारा 144 भी लागू की गई, जिससे घटनास्थल पर मुट्ठी भर से अधिक लोग एकत्र नहीं हो सकते हैं.

विवाद की वजह

यह विवाद उस समय उभरा जब पांडववाड़ा संघर्ष समिति ने कलेक्टर के समक्ष शिकायत दायर की थी. हिंदू समूहों के अनुसार, जलगांव जिले के एरंडोल तालुका में मस्जिद के आसपास का क्षेत्र महाराष्ट्र काल के पांडवों से जुड़ा हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने इस क्षेत्र में निर्वासन के दौरान कुछ वर्ष बिताए थे.

जानकार लोगों के अनुसार, पूरा मामला मस्जिद द्वारा मौजूदा ढांचे के विस्तार के दौरान कुछ टिन शेड स्थापित करने के बाद सामने आया है. जलगांव कलेक्टर अमन मित्तल को समिति से एक आग्रह प्राप्त हुआ, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद एक अतिक्रमण है. पांडववाड़ा संघर्ष समिति ने इसे एक प्राचीन हिंदू स्थल बताया और कहा कि यहां बीते युग की कलाकृतियां अभी भी पाई जा सकती हैं.

ट्रस्ट का दावा

हालांकि ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने कहा कि यह साबित करने के लिए दस्तावेज़ हैं कि यह ढांचा 31 अक्टूबर, 1861 से अस्तित्व में है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने मस्जिद के ढांचे को प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है और इसे संरक्षित स्मारक में सूचीबद्ध किया गया है. अभिलेखों के अनुसार मस्जिद का नाम पांडववाड़ा मस्जिद है. मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में भी पंजीकृत है.

हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका

जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट की याचिका अधिवक्ता एसएस काजी के माध्यम से हाईकोर्ट में दायर की गई है. इसमें कहा गया है कि वे 11 जुलाई को कलेक्टर के सामने पेश हुए और अनुरोध किया कि उन्हें पांडववाड़ा संघर्ष समिति द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर उचित जवाब दाखिल करने के लिए उन्हें कुछ समय दिया जाए. याचिका में कहा गया है कि 'कलेक्टर ट्रस्ट की ओर से कुछ भी सुनने के मूड में नहीं थे और 11 जुलाई को याचिकाकर्ता को कोई अवसर दिए बिना, कलेक्टर ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 और 145 के तहत एक आदेश पारित कर दिया.'

याचिका में आगे कहा गया है कि 'पांडववाड़ा संघर्ष समिति द्वारा प्रस्तुत आवेदन, नफरत फैलाने वाले भाषण के बाद आया है और यह स्पष्ट करता है कि पांडववाड़ा संघर्ष समिति एक वक्ता सतीश चौहान के भाषण से प्रभावित है. याचिका में कलेक्टर के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह यह कानून के विपरीत है और मामले के गुण-दोष के विरुद्ध, अन्यायपूर्ण और अनावश्यक है. यह आदेश दस्तावेजी साक्ष्य और कलेक्टर कार्यालय द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड पर विचार करने में विफल रहा है. हाईकोर्ट ने याचिका पर सभी उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया है. अब मामले की सुनवाई 18 जुलाई को होगी.

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