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महाराष्ट्र में आरक्षण को लेकर सरकार में मतभेद, शिंदे के प्लान पर भुजबल ने लगाया ओबीसी का ग्रहण
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का आश्वसन मिलने के बाद आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटील ने भले ही अपना अनशन खत्म कर दिया हो, लेकिन सीएम एकनाथ शिंदे के प्लान पर सरकार में ही दो फाड़ हो गए हैं। एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि मराठा आरक्षण के लिए ओबीसी के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ओबीसी नेताओं को निशाना बनाना एक साजिश- भुजबल
छग्गन भुजबल ने कहा कि तेली, माली समुदाय और ओबीसी समाज के नेता हैं तो क्या आप उनके घर और कार्यालय को जला देंगे। भुजबल ने कहा कि संदीप क्षीरसागर, जयदत्त क्षीरसागर, प्रकाश सोलंके के घर पर हमला किया गया। समता परिषद के सुभाष राऊत के होटल पर हमला किया गया। ओबीसी नेताओं को निशाना बनाया गया। यह मराठा समुदाय की एक सहज प्रतिक्रिया नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश थी। बीड में शिवाजी महाराज की छवि भी तोड़ी गई, जिसे हम कैसे सहन कर सकते हैं।भुजबल ने पुलिस पर भी सवाल उठाए और कहा कि प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने क्यों नहीं रोका।
फिलहाल अलग से आरक्षण देना मुमकिन नहीं
दरअसल मराठा समुदाय को फिलहाल अलग से आरक्षण देना मुमकिन नहीं है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उसे पहले ही रद्द कर दिया था। ऐसे में शिंदे सरकार ने मराठा आरक्षण मुद्दे के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने के प्रस्ताव पर राज्य सरकार को सलाह देने के लिए विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति गठित कर रखी है। सुप्रीम कोर्ट से यह मामला कब हल होगा, इसकी कोई तय सीमा नहीं है।मराठा समुदाय आरक्षण को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है।ऐसे में एकनाथ शिंदे ने ओबीसी समुदाय में आने वाली कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देकर मराठा समुदाय को आरक्षण के दायरे में लाने की रणनीति बनाई है।
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