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थम गईं मासूम वेदिका की सांसे: 16 करोड़ का इंजेक्शन भी नहीं आया काम!
आखिरकार 11 महीने की मासूम वेदिका शिंदे (Vedika Shinde) जिंदगी की जंग हार गई. 16 करोड़ का इंजेक्शन भी काम नहीं आया और वेदिका की सांसे थम गईं. वह पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 (SMA Type-1) से जूझ रही थी. पुणे (Pune) की इस बच्ची को दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी थी. उसे बचाने के लिए तमाम कोशिशें की गईं थीं, 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन लगाया गया था लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.
दुनिया की सबसे महंगा इन्जेक्शन भी उसे बचा नहीं पाया
वेदिका सौरभ शिंदे को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 था। यह एक दुर्लभ जनेटिक बीमारी है, जो बीच के नर्वस सिस्टम और मांसपेशियों के स्पीड को प्रभावित करती है। डॉक्टरों ने अनुसार उसे दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन जोलगेन्स्मा दिया गया था। इस इंजेक्शन जोलगेन्स्मा की कीमत 16 करोड़ रुपए थी। जिसे फंडिंग कई प्लेटफार्मों के माध्यम से की गई थी।
इंजेक्शन से उसकी हालत में सुधार हुआ था और इंजेक्शन के बाद वह कभी भी बेड रेस्ट पर नहीं रही थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक जब बच्ची चार महीने की थी, तब वो अपने गर्दन के बल पर नहीं रह पा रही थी और सीधा खड़े होने में असमर्थ थी। जिससे उसकी बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का पता चला। उसकी मांसपेशियों ने काम करना बंद कर दिया था। बस अब इन्जेक्शन जोलगेन्स्मा ही उसकी मदद कर सकता था और ये दवा केवल दो साल से कम उम्र के बच्चों को दी जा सकती है। इस मामले पर सांसद अमोल कोल्हे ने कथित तौर पर लोकसभा में सरकार से इंजेक्शन पर आयात फीस माफ करने की अपील की थी। जो अमेरिका से आने वाला था। जॉन अब्राहम ने भी बच्ची के लिए डोनेशन की अपील की थी। दुनियाभार के एनजीओ ने भी बच्ची की मदद की थी।
अस्पताल में वेदिका सौरभ शिंदे की तबीयत बिगड़ी
रिपोर्ट के अनुसार वेदिका शाम को ठीक थी, लेकिन सांस लेने में तकलीफ के कारण उसे अस्पताल ले जाना पड़ा। भोसरी अस्पताल में जाने के बाद उसकी हालत स्थिर हो गई, जिसके बाद उसे दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल शिफ्ट कराया गया और उसके बाद वेदिका की हालत बिगड़ती चली गई, उसे तुरंत वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया पर डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए। उसकी मौत की खबर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई है। जिसपर लोगों ने शोक जताया है। वेदिका और उनका परिवार महाराष्ट्र के पुणे के पिंपरी चिंचवड़ इलाके में रहता था।