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सरकार के खिलाफ बोलने वालों पर लगाई जाती है राजद्रोह की धारा - शरद पवार
राजद्रोह के कानून को लेकर पिछले कई सालों से देश में बहस हो रही है। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने सांसद नवनीत राणा (Navneet Rana) और उनके विधायक पति रवि राणा (Ravi Rana) के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है। इसके बाद एक बार फिर से इस कानून पर बहस छिड़ गई है। इसी बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार का एक बड़ा बयान सामने आया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शरद पवार (Sharad Pawar) ने बीमा कोरेगांव (Bheema Koregaon) जांच आयोग के समक्ष एक अतिरिक्त हलफनामा दायर कर 'कानूनी सुधारों' का सुझाव दिया है। बात दें कि शरद पवार ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A (राजद्रोह) को निरस्त कर देना चाहिए और इसकी जगह पर सुचना प्रोधौगिकी अधिनियम की धारा 66A को फिर से शामिल करना चाहिए।
शरद पवार ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि आईपीसी की धारा 124A का दुरूपयोग अक्सर उन लोगों के खिलाफ किया जाता है, जो सरकार के आलोचना करते हैं। साथ ही शरद पवार ने कहा यही कि जो लोग शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठाते हैं, उनकी आवाज इस धारा के आड़ में दबा दी जाती है, लिहाजा इस कानून को निरस्त किया जाना चाहिए। अपने अतिरिक्त हलफनामे में उन्होंने दोहराया है कि उन्हें 1 जनवरी 2018 को पुणे में कोरेगांव - भीमा युद्ध स्मारक पर हुई घटना के लिए जिम्मेदार कारणों के बारे में कोई जानकारी या सुचना नहीं थी।