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हेडली ने किए सनसनीखेज खुलासे, 26/11 से पहले भी 2 बार हुई थी हमले की कोशिश

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8 Feb 2016 8:54 AM GMT
हेडली ने किए सनसनीखेज खुलासे



मुंबई : लश्कर ए तैयबा का पाकिस्तानी-अमेरिकी सदस्य डेविड हेडली 26/11 मामले में सरकारी गवाह बनाए जाने के बाद वीडियो लिंक के जरिए यहां एक अदालत के समझ पेश हुआ और उसने कई चौंकाने वाले सनसनीखेज खुलासे किए हैं। अमेरिका की एक जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान उसने कबूला कि हाफिज सईद ही उसे ऑर्डर देता था। वह उसका सपोर्टर रहा है। उसने यह भी बताया कि 26/11 हमले के पहले दो बार और कोशिशें की गई थीं, लेकिन वे नाकाम रहीं।

हेडली ने स्पेशल कोर्ट को बताया, 'मेजर अली ने ही आईएसआई के मेजर इकबाल से मेरा परिचय कराया था।' हेडली ने बताया कि लश्कर आतंकी साजिद मीर chalchalo@yahoo.com ईमेल आईडी के जरिए आतंकियों से संपर्क साधता था। हेडली ने कहा कि मुझे वीजा मिलने के बाद मेजर अली ने कहा कि तुम भारत के बारे में सूचनाएं जुटाने में काम आओगे।

डेविड हेडली ने स्वीकार किया कि उसने भारत में घुसने के लिए फर्जी पासपोर्ट बनवाने के बाद उसने आठ बार भारत की यात्रा की थी। इस दौरान 7 बार वह मुंबई आया था। डेविड हेडली ने आखिरी बार 2009 में मुंबई का दौरा किया था। इसका मतलब 26/11 हमले के बाद भी आतंकी डेविड हेडली भारत आया था। हेडली ने अदालत के सामने स्वीकार किया कि मैं लश्कर-ए-तैयबा का कट्टर समर्थक रहा हूं। हेडली ने कहा कि उसने लश्कर के ही आतंकी साजिद मीर की मदद से फर्जी पासपोर्ट बनवाया था। हेडली ने कहा कि मुंबई हमले के बाद भी मैं 7 मार्च, 2009 को लाहौर से दिल्ली गया था।

हेडली ने यह भी कहा कि उसने 2006 में अपना नाम दाउद गिलानी से बदलकर डेविड हेडली रख लिया था ताकि वह भारत में प्रवेश कर सके और यहां कोई कारोबार स्थापित कर सके। हेडली ने यहां अदालत से कहा, ‘मैंने फिलाडेल्फिया में पांच फरवरी 2006 को नाम बदलने के लिए आवेदन दिया था। मैंने नए नाम से पासपोर्ट लेने के लिए अपना नाम बदलकर डेविड हेडली रख लिया। मैं नया पासपोर्ट चाहता था ताकि मैं एक अमेरिकी पहचान के साथ भारत में दाखिल हो सकूं।’’

ऐसा बताया जाता है कि उसने वर्ष 2006 और 2008 के बीच कई बार भारत की यात्रा की, नक्शे खींचे, वीडियो फुटेज ली और हमले के लिए ताज होटल, ओबरॉय होटल और नरीमन हाउस समेत विभिन्न ठिकानों की जासूसी की। हेडली की जासूसी ने हमला करने वाले लश्कर के 10 आतंकवादियों और उनके आकाओं को अहम जानकारी उपलब्ध कराई।

हेडली की गवाही से मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के पीछे के षड्यंत्र के बारे में कई अहम खुलासे हो रहे हैं। इन हमलों में 166 लोगों की मौत हुई थी। अदालत ने 10 दिसंबर 2015 को हेडली को इस मामले में सरकारी गवाह बनाया था और उसे आठ फरवरी को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा था। उस समय हेडली ने विशेष न्यायाधीश जी ए सनप से कहा था कि अगर उसे माफ किया जाता है तो वह गवाही देने को तैयार है। न्यायाधीश सनप ने हेडली को कुछ शर्तों के आधार पर सरकारी गवाह बनाया था और उसे माफी दी थी। मुंबई क्राइम ब्रांच की ओर से सरकारी अधिवक्ता उज्जवल निकम पैरवी कर रहे हैं।
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