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रिटायर्ड आर्मी कमांडर का दावा- 1987 में राजीव गांधी सरकार के तख्तपलट की रची गई थी साजिश

Special News Coverage
4 Oct 2015 6:28 AM GMT
PN-Hoon



चंडीगढ़ : 1987 में राजीव गांधी सरकार के तख्तपलट की साजिश रची गई थी। इस बात का दावा वेस्टर्न कमांड में पोस्टेड रहे आर्मी कमांडर ले. जनरल पीएन हून ने किया है। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, 86 साल के हून ने आरोप लगाया कि उस वक्त के आर्मी चीफ जनरल कृष्णास्वामी सुंदरजी और ले. जनरल एसएफ रोड्रिग्स (वाइस चीफ ऑफ आर्मी) तख्तापलट करने की प्लानिंग में शामिल थे।

किताब में इस बात का जिक्र किया गया है कि उस वक्त तख्तापलट के लिए उन नेताओं की मदद लेने की प्लानिंग थी, जिनसे राजीव गांधी के संबंध अच्छे नहीं थे। पैरा कमांडोज की तीन बटालियन्स जिसमें एक वेस्टर्न कमांड की भी थी, को एक्शन के लिए दिल्ली जाने के लिए कहा गया था। हून ने यह दावा अपनी किताब 'द अनटोल्ड ट्रूथ' में किया है।

वहीं वेस्टर्न कमांड के सीनियर कर्नल केएस पाठक ने इस दावे को हून की 'अपनी धारणा' करार दिया है। देश की स्पेशल फोर्सेस के फाउंडर्स में से एक पाठक ने कहा कि दिल्ली में सेना को बुलाए जाने के पीछे उस वक्त कोई और कारण रहा होगा। उस वक्त दिल्ली में सिख दंगों के बाद अशांति का माहौल था।

क्या दावा किया गया है इस किताब में ?
* ले. जनरल का यह भी कहना है कि 1987 में एक फेयरवेल फंक्शन में उस वक्त पंजाब के गवर्नर सिद्धार्थ शंकर रॉय से चंडीगढ़ में बातचीत के दौरान ज्ञानी जैल सिंह ने राजीव गांधी को करप्शन और लापरवाही में डूबा बताया था। सिंह ने यह भी कहा था कि राजीव गांधी को 1984 के सिख विरोधी दंगों की कोई चिंता नहीं थी।

* हून ने यह भी दावा किया है कि मई-जून 1987 में वेस्टर्न कमांड के चीफ के तौर पर वह दफ्तर के कामकाज को लेकर दिल्ली में थे और उसी वक्त उन्हें तीन पैरा कमांडोज बटालियन को मूव कराने के ऑर्डर की जानकारी मिली थी। इन बटालियन में फर्स्ट पैरा कमांडो भी शामिल थे, जो वेस्टर्न कमांडो का हिस्सा हैं। इसके तहत जो अन्य दो पैरा कमांडो बटालियन को मूव करने के लिए कहा गया था।



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* हून ने कहा कि इसकी जानकारी मिलते ही उन्होंने राजीव गांधी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी गोपी अरोड़ा को इस बात की जानकारी दी थी और उन्हें वे लेटर भी दिखाए थे, जिनमें स्पेशल फोर्सेस की मांग की गई थी।

* हून ने कहा, ''मैंने उन्हें यह भी समझाया कि आर्मी का इस तरह से मूव करना कितना खतरनाक हो सकता है। यह देश के लिए ही नहीं, बल्कि पॉलिटिकल सिस्टम के लिए भी खतरनाक था।'' उन्होंने यह भी दावा किया कि इस एक्शन की जानकारी मिलने के बाद ही उन्होंने वेस्टर्न कमांड के तहत आने वाले दिल्ली एरिया कमांडर को ऑर्डर दिया था कि बिना इजाजत सेना का कोई भी मूवमेंट नहीं होगा।

* 1987 अक्टूबर में रिटायर्ड होने वाले हून का कहना है कि राजीव गांधी के एक कैबिनेट मिनिस्टर वीसी शुक्ला को भी संभावित आर्मी एक्शन की जानकारी थी। किताब के चैप्टर 10 'ज्ञानी जैल बनाम राजीव गांधी' में उन्होंने जिक्र किया है कि शुक्ला चंडीमंदिर में इस बात के लिए उनसे खास तौर पर मिलने आए थे।


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