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गणतंत्र दिवस के रंग में भंग डालने की फिराक में आतंकी, कोड वर्ड का खुलासा

Special News Coverage
23 Jan 2016 6:41 AM GMT

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नई दिल्ली

सुरक्षा एजेंसियों ने देश के अलग-अलग इलाकों से शुक्रवार को 18 संदिग्ध पकड़े। ये सभी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के लिए काम कर रहे थे। ऐसा पहली बार हुआ कि इतने बड़े पैमाने पर भारत में आईएस की मौजूदगी की आशंका के सुराग हाथ लगे। हमारी सुरक्षा एजेंसियों को यह कामयाबी अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA की मदद से मिली है। गणतंत्र दिवस के रंग में भंग डालने की फिराक में आतंकी, कोड वर्ड का खुलासा।


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ऐसे पकड़े गए ये संदिग्ध

दरअसल, ये सभी संदिग्ध आतंकी कोड वर्ड में बातचीत करते थे और एक दूसरे से इसी कोड भाषा के जरिए संपर्क में थे। सीआईए को किसी तरह इस बातचीत का पता चल गया। इनका कोड वर्ड था- '7 कलश रख दो'। सीआईए ने इसे डिकोड किया और भारतीय एजेंसियों को अलर्ट कर दिया। 7 कलश से मतलब सात जगहों पर ब्लास्ट करने से था।

CIA को ऐसे पता चला
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सीआईए लगातार पश्चिमी एशिया में कंप्यूटर और फोन पर आईएस की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। पिछले हफ्ते सीआईए की तरफ से मिली इस जानकारी के आधार पर ही हमारी खुफिया एजेंसियों को आईएस सेल को ध्वस्त करने में सफलता मिली है।

CIA ऐसे रख रही है नजर
सूत्रों ने बताया कि सीरिया और इराक में आईएस जो सैकड़ों कंप्यूटर और स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहा है, उनके आईपी एड्रेस पर सीआईए की नजर है. आईएस के लोग कई आईपी एड्रेस का इस्तेमाल फेसबुक के लिए भी कर रहे थे. इन्हीं में से एक था आईएस का कमांडर शाफी अरमार था, जिसका कोड नाम यूसुफ अल हिंदी था. उसी ने भारत में अखलाक उर रहमान से बात की थी, जिसके बाद अखलाक सहित चार को गिरफ्तार कर लिया गया.

अब तक 18 संदिग्ध दबोचे
गणतंत्र दिवस पर आतंकी हमले के मद्देनजर एनआईए और एटीएस ने शुक्रवार को देश में ISIS के नेटवर्क को ध्वस्त करते हुए कुल 18 संदिग्धों को दबोचा।



इससे पहले एनआईए और एटीएस की टीम ने 5 आतंकियों को गिरफ्तार किया, जबकि नौ संदिग्ध आतंकियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। ये सभी आतंकी हमले के लिए हथियार जुटाने की कोशिश कर रहे थे और आइईडी बम बनाने का कुछ सामान जमा भी कर चुके थे।

अजित डोभाल खुद कर रहे हैं मॉनिटर

बताया जाता है कि गणतंत्र दिवस के रंग में भंग डालने की फिराक में लगे आतंकियों के मंसूबों को नाकाम करने के ऑपरेशन को खुद एनएसए अजित डोभाल मॉनिटर कर रहे हैं। खुफिया और सुरक्षा बलों की बैठक में डोभाल ने सभी आला अधिकारियों को साफ कहा कि किसी भी आतंकी हमले का इनपुट मिलने के बाद रिस्पॉन्स टाइम कम से कम होना चाहिए। आधे घंटे से भी कम।




गणतंत्र दिवस के लिए इंडिया गेट पर चाकचौबंद सुरक्षा इंतजाम

सुरक्षा एजेंसियों ने देश के अलग-अलग इलाकों से शुक्रवार को 18 संदिग्ध पकड़े। ये सभी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के लिए काम कर रहे थे। ऐसा पहली बार हुआ कि इतने बड़े पैमाने पर भारत में आईएस की मौजूदगी की आशंका के सुराग हाथ लगे। हमारी सुरक्षा एजेंसियों को यह कामयाबी अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA की मदद से मिली है।

ऐसे पकड़े गए ये संदिग्ध

दरअसल, ये सभी संदिग्ध आतंकी कोड वर्ड में बातचीत करते थे और एक दूसरे से इसी कोड भाषा के जरिए संपर्क में थे। सीआईए को किसी तरह इस बातचीत का पता चल गया। इनका कोड वर्ड था- '7 कलश रख दो।' सीआईए ने इसे डिकोड किया और भारतीय एजेंसियों को अलर्ट कर दिया। 7 कलश से मतलब सात जगहों पर ब्लास्ट करने से था।

CIA को ऐसे पता चला

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सीआईए लगातार पश्चिमी एशिया में कंप्यूटर और फोन पर आईएस की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। पिछले हफ्ते सीआईए की तरफ से मिली इस जानकारी के आधार पर ही हमारी खुफिया एजेंसियों को आईएस सेल को ध्वस्त करने में सफलता मिली है।

CIA ऐसे रख रही है नजर
सूत्रों ने बताया कि सीरिया और इराक में आईएस जो सैकड़ों कंप्यूटर और स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहा है, उनके आईपी एड्रेस पर सीआईए की नजर है। आईएस के लोग कई आईपी एड्रेस का इस्तेमाल फेसबुक के लिए भी कर रहे थे। इन्हीं में से एक था आईएस का कमांडर शाफी अरमार था, जिसका कोड नाम यूसुफ अल हिंदी था। उसी ने भारत में अखलाक उर रहमान से बात की थी, जिसके बाद अखलाक सहित चार को गिरफ्तार कर लिया गया।

अब तक 18 संदिग्ध दबोचे
गणतंत्र दिवस पर आतंकी हमले के मद्देनजर एनआईए और एटीएस ने शुक्रवार को देश में ISIS के नेटवर्क को ध्वस्त करते हुए कुल 18 संदिग्धों को दबोचा।


इससे पहले एनआईए और एटीएस की टीम ने 5 आतंकियों को गिरफ्तार किया, जबकि नौ संदिग्ध आतंकियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। ये सभी आतंकी हमले के लिए हथियार जुटाने की कोशिश कर रहे थे और आइईडी बम बनाने का कुछ सामान जमा भी कर चुके थे।

अजित डोभाल खुद कर रहे हैं मॉनिटर

बताया जाता है कि गणतंत्र दिवस के रंग में भंग डालने की फिराक में लगे आतंकियों के मंसूबों को नाकाम करने के ऑपरेशन को खुद एनएसए अजित डोभाल मॉनिटर कर रहे हैं। खुफिया और सुरक्षा बलों की बैठक में डोभाल ने सभी आला अधिकारियों को साफ कहा कि किसी भी आतंकी हमले का इनपुट मिलने के बाद रिस्पॉन्स टाइम कम से कम होना चाहिए। आधे घंटे से भी कम।


अधिकारियों को दिल्ली में जमे रहने की हिदायत

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रॉ, आईबी, एनएसजी, दिल्ली पुलिस, एनआईए, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ और गणतंत्र दिवस की सुरक्षा में लगे सभी सुरक्षा बलों के डीजी समेत आला अधिकारियों को 26 जनवरी तक दिल्ली में रहने और दिन-रात इमरजेंसी बैठक के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है।




इसी मिशन के तहत पिछले कुछ दिनों से राजधानी में सुरक्षा बलों ने कई जगहों पर मॉक ड्रिल को अंजाम दिया। जिससे खासतौर पर एनएसजी और दिल्ली पुलिस मॉल, होटल और भीड़भाड़ वाली जगह पर आतंकी हमले को नाकाम कर सके।

आईबी ने पहले से रखी थी नजर

गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (आंतरिक सुरक्षा) एमए गणपति के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में फैले इन आतंकी पहले से खुफिया ब्यूरो के रडार पर थे और लगभग छह महीने से उनकी ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। जैसे ही इन आतंकियों ने हमला करने के लिए हथियार खरीदने की तैयारी शुरू की और कुछ आइईडी बनाने के सामान जुटाने के संकेत मिले, एनआइए ने उन्हें दबोच लिया।

आतंकी हमले को लेकर अलर्ट जारी
शुक्रवार दिन में जिन 14 आतंकियों को हिरासत में लिया गया है, उनमें से तीन मुंबई, चार हैदराबाद, चार बंगलुरु, एक मंगलुरु, एक टुनकुर और एक लखनऊ से है। इनमें थाने के मुंब्रा के रहनेवाले मुदब्बीर मुस्ताक शेख, हैदराबाद के मोहम्मद नफीस खान और शरीफ मोउनुद्दीन खान, मंगलुरु के नजमुल हुडा और बंगलुरु के मोहम्मद अफजल को गिरफ्तार कर लिया गया है। गणपति ने कहा कि बाकि नौ संदिग्ध आतंकियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है और ठोस सबूत मिलने की स्थिति में उन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है।


पूर्व आईएम आतंकी और भारत में ही ट्रेनिंग

पूछताछ में पता चला है कि अलग-अलग शहरों में रहने वाले इन आतंकियों में कुछ ही एक-दूसरे को जानते थे। लेकिन ये सभी युसुफ नाम के आतंकी के साथ ऑनलाइन संपर्क में थे। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि युसुफ कोई और नहीं आइएम का पूर्व आतंकी सफी अरमर है। स्काइप और दूसरे सोशल साइट्स पर बातचीत में अरमर इन पर जल्द ही कोई आतंकी हमला करने का दबाव बना रहा है।

बताया जाता है कि सफी अरमर नए आतंकियों को भारत के भीतर ही आतंकी ट्रेनिंग देने के कैंप लगाने की योजना भी बना रहा था। ताकि उन्हें आईईडी बम बनाने से लेकर हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा सके. लेकिन अभी तक यह ट्रेनिंग कैंप नहीं लगाया जा सका था। इसके पहले सफी अरमर चाहता था कि ये आतंकी स्थानीय स्तर पर विस्फोट कर अपनी क्षमता का परिचय दें। इसके लिए इन्हें छह लाख रुपये भी पहुंचाए गए थे। छापे के दौरान एनआईए को इनके ठिकाने से आईईडी बनाने में प्रयुक्त होने वाले काफी सामान मिले हैं।
साभार आज तक

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