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पाक मीडिया का खुलासाः पीएम मोदी की क्षमता पर भरोसा, जबकि पाक पीएम शरीफ है विवश.......

Special News Coverage
11 Dec 2015 3:15 PM GMT

Modi and Nawaz

भारत पाक के रिश्तों को लेकर पाक मिडिया ने भी माना है कि भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने ठान लिया तो सुधर लेंगे पाक से रिश्ते लेकिन पाक प्रधानमन्त्री विवश है सेना के सामने और लेनी होगी पाकिस्तानी आर्मी की सलाह।

भारत के बीच बातचीत की शुरुआत से पाकिस्‍तानी मीडिया खुश है। उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्षमता पर भरोसा भी है, लेकिन खुद अपने देश के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को लेकर उसके मन में शंका बनी हुई है। अखबार ‘द डॉन’ ने लिखा है कि अगर पीएम मोदी चाहें तो यकीनन पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते सुधार लेंगे, लेकिन नवाज शरीफ के बारे में ऐसा कह पाना मुश्किल है। इसकी सबसे बड़ी वजह है पाकिस्‍तान की आर्मी।


‘द डॉन’ ने एडिटोरियल में लिखा है कि बड़ा सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान और भारत इतिहास को पीछे छोड़ते हुए रिश्ते सुधार पाएंगे? दोनों देशों के खराब रिश्तों के बीच कई बार ऐसे मौके आए, जब लगा कि अब सब ठीक होने वाला है, लेकिन लेकिन दुर्भाग्‍य से ऐसा नहीं हुआ। इसकी बड़ी वजह दोनों देशों की लीडरशिप है।’



‘द डॉन’ ने आगे लिखा है कि आज की बात करें तो यह कहा जा सकता है कि अगर पीएम मोदी ठान लें तो वह ऐसा कर सकते हैं, लेकिन नवाज शरीफ पाकिस्‍तानी आर्मी के सामने विवश हैं। अगर सेना उन्‍हें मदद देती है तभी वह कुछ कर सकते हैं।’ हाल ही में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ‘हार्ट ऑफ एशिया’ समिट में हिस्सा लेने पाकिस्तान गईं थीं। उनके इस दौरे के बाद दोनों देशों के बीच सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए सहमति बनी। 2008 के मुंबई हमलों के बाद से दोनों देशों के बीच वार्ता बंद पड़ी है।



भारत-पाक के ज्वाइंट स्टेटमेंट में दोनों देश आतंकवाद और कश्मीर जैसे मुद्दों पर बातचीत को राजी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक, दो महीने के अंदर दोनों देशों के विदेश सचिवों की बैठक होगी। इसी के साथ बातचीत शुरू हो जाएगी। ‘द एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून’ ने बताया बातचीत को बेहद कठिन पाकिस्‍तान के एक अन्‍य अखबार ‘द एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून’ ने भी इस मुद्दे को बेहद जटिल बताया है। अखबार ने लिखा, ‘ बातचीत का फैसला आसान है, लेकिन सचाई यह है कि बातचीत से नतीजे तक ले जाना मुश्किल काम है।


जिन मुद्दों पर बातचीत होनी है, उनमें से कोई भी ऐसा नहीं है जो आसान हो। यह भी ध्यान रखना होगा कि अब तक दोनों देश एक भी मसले का हल नहीं निकाल पाए हैं, क्योंकि पार्टिशन के बाद से ही विवाद चले आ रहे हैं। दोनों देशों को कुछ पाना और कुछ खोना होगा। फिलहाल तो लगता नहीं है कि दोनों देश कोई बड़ी कामयाबी हासिल कर पाएंगे।’uf
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