- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
सवर्णो को 10 प्रतिशत आरक्षण, मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक
केन्द्रीय कैबिनेट ने आज केन्द्रीय सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है.लोकसभा चुनाव के पहले मोदी सरकार के इस फैसले ने एन डी ए विरोधी दल और उसके नेता भौचक है. उन्होने कभी कल्पना नही थी कि एकाएक मोदी सरकार इतना बड़ा फैसला ले सकती है.
कभी इसी बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री बी पी सिंह की सरकार द्वारा मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू किये जाने का विरोध किया था. मंडल कमीशन के विरोध में समुचे देश में लगी आरक्षण की आग पर पानी देने के लिये तात्कालीन भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिये रथ यात्रा सुरू की थी और बिहार के समस्तीपुर में उनकी गिरफ्तारी से भड़की भाजपा ने केन्द्र की बीपी और बिहार की लालू सरकार से समर्थन वापस लिया था.
इसी मंडल कमीशन की आग से कांग्रेस झुलस गयी थी और इस वजह से उत्तर प्रदेश बिहार समेत हिन्दी प्रदेशो से उसकी राजनीतिक जमीन उखड गयी. एक तरफ सवर्ण बीजेपी के खाते में गये तो अतिपिछड़ा और पिछड़ा समाजवादियो की झोली में. शायद यही वजह है कि तीन हिन्दी प्रदेश में नोटा का असर और सवर्ण मतदाताओ की नाराजगी की वजह से सत्ता से वंचित बीजेपी ने अपने नाराज सवर्ण मतदाताओं को रिझाने के लिये यह मास्टर स्ट्रोक चला है.
यानि कभी आरक्षण का विरोध करने वाली बीजेपी आज आरक्षण की बदौलत ही अपनी चुनावी नैया पार करना चाहती है. अब बीजेपी के इस फैसले से उसके विरोधी दलो के बीच भी मतभिन्नता भी सामने आ रही है. बिहार में माझी जैसे सवर्ण आरक्षण के समर्थक नेता केन्द्र के इस पैसले के समर्थन में है तो राजद विरोध में, सबसे हास्यासपद स्थिति कांग्रेस की हो गयी है वह अगर इसके पक्ष में आती है तो पिछड़े और अतिपिछड़े का विरोध जेलना पड़ेगा और अगर समर्थन करेगी तो सवर्णो का कोपभाजन बनना पड़ेगा.
अब राजनीतिक पंड़ितो की नजर कल के संसद की कार्यवाही पर टिकी चुकी है कि क्या वास्तव में बीजेपी इस आरक्षण का लाभ सवर्णो को देना चाहती है या यह केवल चुनावी फैसला है. देखिये आगे आगे होता है क्या. फिलहाल मोदी के तीर से विरोधी घायल तो जरूर हुए है. इस की कसक उनको जरुर हो रही है. मोदी के एक ही तीर में कई शिकार हो गए है.