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भारत में हर 4 मिनट में करता है एक व्यक्ति आत्महत्या, चौंक जायेंगे NCRB के आंकड़े देखकर
नई दिल्ली: आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) है. आज का दिन मानसिक परेशानियों और इस से जूझ रहे लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए किया जाता है. वैसे से तो हमारे देश में मानसिक बीमारी को बीमारी नही माना जाता है और इसके बारे में ज्यादा खुल कर बात भी नहीं की जाती. यही कारण है कि भारत में हर 4 मिनट में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है. ये कहना गलत नही होगा कि हमारे देश में आत्महत्या ने एक महामारी का रुप ले लिया है.
चौंकाने वाले हैं NCRB के आंकड़े
एनसीआरबी के मुताबिक भारत मे हर दिन 381 लोग आत्महत्या करते हैं, यानी हर एक घंटे में करीब 16 लोग अपनी जान ले लेते हैं. साल 2019 में कुल 1 लाख 39 हजार 123 लोगों ने आत्महत्या की, जो 2018 की तुलना में करीब 3.4 फीसद ज्यादा हैं. यानी खुदखुशी करने वालों की संख्या बढ़ी है.
लोग क्यों करते हैं आत्महत्या
NCRB के आंकड़ों के अनुसार देश में 32.4 फीसद मामलों में लोगों ने पारिवारिक समस्याओं के चलते खुदखुशाी की तो 17.1 फीसद लोगों ने बीमारी से परेशान होकर ये घातक कदम उठाया. वहीं 5.5 प्रतिशत लोगों ने वैवाहिक समस्याओं के चलते अपनी जान दी तो 4.5 फीसद लोगों ने प्रेम की वजह से आत्महत्या की. देश में 2 फीसद लोगों की आत्महत्या करने की वजह बेरोजगारी और एग्जाम में फेल होना रही, जबकि 5.6 फीसद लोगों ने ड्रग एडिक्शन के चुंगल में फंसकर अपनी जान गंवाई.
पुरुष ज्यादा करते हैं आत्महत्या
आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या के प्रत्येक 100 मामलों में से 29.8 फीसद में महिलाएं और 70.2 फीसद पुरुष शामिल थे. इनमें भी लगभग 68.4 फीसद पुरुष विवाहित थे और 62.5 फीसद विवाहित महिलाएं थीं. गांव के मुकाबले शहरों में ज्यादा लोग मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे है. 2019 में शहरों में आत्महत्या की दर 13.9 फीसद रही है जो पूरे भारत में आत्महत्या की दर 10.4 फीसद से अधिक थी.
क्या होती है कॉपी कैट डेथ
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि बड़ी संख्या में कॉपी कैट डेथ भी सर्च किया गया. कॉपी कैट डेथ यानि एक ऐसा स्टेट ऑफ माइंड है जिसमें किसी पसंदीदा सेलिब्रिटी की मृत्यु हो जाने से उसी तरह से खुदखुशी करने की कोशिश करते हैं. मनोचिकित्सक बताते हैं कि कॉपी कैट डेथ को वरदर इफेक्ट भी बोला जाता है.
भारत में ग्लोबल एवरेज से ज्यादा आत्महत्या
2019 में अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्था 'ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज' की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 2.3 लाख लोग आत्महत्या कर रहे हैं. जिसका अर्थ है हर चार मिनट में हिंदुस्तान में एक व्यक्ति अपनी जान ले रहा है. भारत में आत्महत्या की दर वैसे भी ग्लोबल एवरेज से 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है. ऐसे में हालात तो पहले ही मुश्किल थे, लेकिन कोरोना के बाद बीमारी के जिस भय और जिन आर्थिक विषमताओं का सामना लोगों को करना पड़ा है, उसने कई लोगों को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है. सर्वे के नतीजों के अनुसार कोरोना के बाद से तक़रीबन 65 प्रतिशत लोगों ने खुद को मारने के बारे में सोचा या ऐसे प्रयास किए. साथ ही तकरीबन 71 प्रतिशत लोगों में कोरोना के बाद मरने की इच्छा बढ़ी हुई पाई