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अदनान सामी को पद्म श्री पर उठा तूफ़ान, जानिये उनके पिता ने 1965 युद्ध में क्या किया था?

Shiv Kumar Mishra
27 Jan 2020 4:52 PM IST
अदनान सामी को पद्म श्री पर उठा तूफ़ान, जानिये उनके पिता ने 1965 युद्ध में क्या किया था?
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दिल्ली: भारत सरकार ने गायक अदनान सामी को पद्मश्री देने का ऐलान किया है। कुछ लोग यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि सामी के पिता 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के एयरफोर्स में पायलट थे। हालांकि, अदनान का तब जन्म भी नहीं हुआ था। फिर भी जब विवाद हो गया तो जानते हैं कि आखिर अदनान के पिता अरशद सामी खान ने 1965 के युद्ध में क्या भूमिका निभाई थी...

पाकिस्तान एयर फोर्स म्यूजियम की आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा है, 'फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान ने भारत के साथ युद्ध के दौरान अधिकतम युद्धक अभियानों में उड़ानें भरी थीं।' उनके पेशेवराना रवैये की तारीफ करते हुए कहा गया है, 'उनका उत्साह और आक्रामक भाव सर्वोच्च स्तर का था। उन्होंने दूसरे पायलटों में भी प्रतिस्पर्धा की गहरी भावना पैदा कर दिया था। उन्होंने प्रेरणदायी निश्चय के साथ युद्ध क्षेत्र में हवाई टुकड़ी का नेतृत्व किया और बेजोड़ परिणाम हासिल किए।'

इस वेबसाइट प्रकाशित नोट के आखिर में लिखा है, 'उनको एक एयरक्राफ्ट, 15 टैंक, 2 हेवी उच्च क्षमता की बंदूकों और 22 वाहनों को नष्ट करने जबकि 8 टैंकों और 19 वाहनों को क्षतिग्रस्त करने का श्रेय जाता है।' फिल्ड मार्शल अयूब खान ने 1965 के युद्ध में अदम्य साहस का परिचयन देने के लिए अदनान के पिता को सितारा-ए-जुरात से नवाजा गया था जो पाकिस्तान की तीसरी सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है। नोट में कहा गया है, 'वह मुश्किल हालात में कभी थके या उदास नहीं दिखे बल्कि दुश्मन को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाते रहना उनका एकमात्र मकसद रहा। उनकी बेजोड़ समर्पण और बहादुरी के लिए फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान को सितारा-ए-जुरत से सम्मानित किया गया।'




पाकिस्तान एयर फोर्स म्यूजियम की आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा नोट।

डिफेंस जर्नल नाम की पत्रिका में साल 2000 में प्रकाशित एक लेख में दावा किया गया था कि अरशद सामी खान पाकिस्तानी एयरफोर्स की उस टुकड़ी के हिस्सा थे जिसने 6 सितंबर, 1965 को पठानकोट स्थित भारतीय वायुसेना के अड्डे पर हमला किया था। तब पाकिस्तानी वायुसेना अमेरिका से मिला एफ-86 साब्रे युद्धक विमान संचालित कर रही थी। पाकिस्तानी एयरफोर्स का दावा था कि एफ-86 रॉकेटों और बमों से लैस थे।

अदनान के पिता ने बाद में तीन पाकिस्तानी राष्ट्रपतियों के सहायक के रूप में काम किया और डिप्लोमेट भी बने। 2008 में उनकी एक किताब आई जिसका टाइटल था- थ्री प्रेजिडेंट्स ऐंड एन ऐड: लाइफ, पावर ऐंड पॉलिटिक्स (तीन राष्ट्रपति और एक सहायक: जीवन, ताकत और राजनीति) जिसमें उन्होंने पाकिस्तानी एयरफोर्स में पायलट से लेकर राष्ट्रपतियों के सहयाक के रूप में किए गए कार्यों का अनुभव परोसा।

इस किताब में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 1965 युद्ध के दौरान पाकिस्तान की ओर से सबसे लंबे वक्त 61 घंटे 15 मिनट तक विमान उड़ाए। उन्होंने इस बात पर पाकिस्तान की लताड़ लगाई कि युद्ध से पाकिस्तान ने कोई सीख नहीं ली और अपनी युद्धक क्षमता में इजाफा नहीं किया। अरशद सामी खान ने अपनी किताब में लिखा, '1965 युद्ध के बाद से भारत ने अपने सशस्त्र बलों को पाकिस्तान के मुकाबले ज्यादा आधुनिक हथियार दिए।' उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन पूर्वी मोर्च पर इंडियन एयरफोर्स और आर्मी कहर बरपाते रहे। अदनान के पिता की साल 2009 में कैंसर से मौत हो गई। तब वह 67 वर्ष के थे।

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