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गणतंत्र दिवस पर दिया किसानों ने नया नारा, "एमएसपी नहीं तो वोट नहीं"
कोंडागांव 25 जनवरी : किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने को लेकर एमएसपी गारंटी मोर्चा देशभर में अभियान चलाकर किसानों को संगठित करेगा और अपनी आवाज बुलंद करेगा. किसान संगठनों की ओर से गठित एमएसपी गारंटी मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ राजाराम त्रिपाठी ने आज गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर छत्तीसगढ़ प्रदेश की कला-राजधानी कोंडागांव में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में किसानों के लिए यह सबसे बड़ा मुद्दा होगा. आगामी चुनावों को लेकर इस गणतंत्र दिवस के अवसर पर डॉ त्रिपाठी ने देश के किसानों के लिए एक नारा भी जारी किया है, "एमएसपी नहीं तो वोट नहीं".
'एमएसपी गारंटी-किसान मोर्चा' अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह तथा 'केंद्रीय कोर कमेटी' के निर्देश पर देशभर में किसानों को जागरूक व संगठित करने में लगे डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि किसान आंदोलन की समाप्ति पर केंद्र की सरकार ने एमएसपी को लेकर जो वादा किया था उसे अब तक पूरा नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि आज खेती जबरदस्त घाटे का सौदा बन चुकी है, और किसानों के बेटे खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साल भर में लगभग दो करोड़ किसानों ने खेती छोड़ दिया है। केंद्र सरकार की शांताकुमार कमेटी का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि सरकार अभी केवल 6% उत्पादन ही एमएसपी पर खरीदती है बाकी 94% किसानों का उत्पादन एमएसपी से भी कम रेट पर बिकता है, जिसके कारण किसानों को हर साल लगभग 7 लाख करोड़ का नुकसान होता है । डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि हर साल किसानों को मिलने वाली सभी प्रकार की सब्सिडी को अलग कर दिया जाए तो भी, देश भर के किसानों को 5 लाख करोड़ का घाटा हर साल सहना पड़ रहा है. इन हालातों में खेती और किसानी कैसे बचेगी यह सोचने का विषय है.
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में वह उत्तर प्रदेश के कई जिलों का दौरा करके लौटे हैं, जहां किसानों ने एमएसपी को लेकर निर्णायक लड़ाई लड़ने पर सहमति जताई है. उन्होंने कहा गणतंत्र दिवस के तुरंत बाद वह पुनः महाराष्ट्र के विदर्भ तथा परभनी जा रहे हैं जहां किसानों की एक बड़ी बैठक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा देश के वरिष्ठ किसान नेता सरदार वीएम सिंह के मार्गदर्शन में वरिष्ठ किसान नेता राजू शेट्टी के नेतृत्व में बुलाई गई है। डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि कोर कमेटी के निर्देश पर उन्होंने जनवरी के पहले हफ्ते में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश कथा कर्नाटक राज्यों में एमएसपी गारंटी को लेकर उन्होंने दौरा किया है और हर जगह किसान एमएसपी की लड़ाई लड़ने को एकजुट है. हाल में ही बस्तर के कई विकास खंडों के प्रगतिशील किसानों से चर्चा हुई है बस्तर के किसान भी अब जागरूक हो रहे हैं तथा अपने उत्पादों के के सही दाम के लिए वो भी लामबंद हो रहे हैं। इस आंदोलन में बस्तर तथा छत्तीसगढ़ की बहुत-बहुत पूर्ण भूमिका रहेगी।
'एमएसपी गारंटी मोर्चा' के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा किसान संगठनों में इस मुद्दे को लेकर जबरदस्त एकता है. उन्होंने कहा एक किसान इस देश की आत्मा है और वह यह दिखा कर रहेंगे कि उनकी अनदेखी कर कोई भी सरकार सत्ता में नहीं रह सकती. डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि हालत यह है, कि किसानों को बोतलबंद पानी से भी कम कीमत पर अपनी उपज बेचनी पड़ रही है. इस सब के बाद भी सत्ता प्रतिष्ठानों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है.
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें एमएसपी की बात कहीं गई थी जिस पर आज तक ध्यान नहीं दिया गया. डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि खुद वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते 2011 में गठित कमेटी की अध्यक्षता करते हुए किसानों को एमएसपी दिए जाने की वकालत की थी और 2014 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस मुद्दे पर क्षोभ जताते हुए ट्वीट किए थे.
हालांकि सत्ता में आने के बाद एमएसपी का मुद्दा उनके लिए महत्वहीन हो गया डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा इस देश की हालत अमेरिका की तर्ज पर कृषि को पीछे रख उद्योगों को तरजीह देने जैसी हो गई है जो कम से कम भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए उपयुक्त नहीं है. उन्होंने कहा किसान संगठनों ने ठान लिया है एमएसपी को लेकर अब निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी और सक्षम 'एमएसपी गारंटी कानून' हासिल किए बिना चैन नहीं लिया जाएगा.