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अन्ना हजारे ने 90 दिनों बाद तोड़ा मौन व्रत, जानिए क्या था मामला
पुणे। दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक चलती बस में पैरामेडिकल की 23 वर्षीय एक छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार एवं उस पर हमले के चारों दोषियों मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। इसके बाद समाजसेवी अन्ना हजारे ने अपना मौन व्रत तोड़ दिया। वे निर्भया को न्याय दिलाने की मांग को लेकर पिछले 90 दिनों से मौनव्रत में थे। चारों दोषियों को फांसी की खबर मिलते ही अन्ना हजारे ने शुक्रवार को संत यादव बाबा का दर्शन किया और जल पीकर अपना मौन व्रत तोड़ा।
अन्ना 20 दिसंबर से मौन व्रत में थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्भया के दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखने के बाद अन्ना मौन व्रत पर चले गए थे कि जब तक दोषियों को फांसी नहीं दी जाती तब तक मौन व्रत रखेंगे। अन्ना ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की थी कि अपराधियों के मन में डर बैठे, इसके लिए महिला सुरक्षा से जुड़े और सख्त कानून बनाया जाए।
इसके पहले अन्ना ने 12 बार मौन व्रत आंदोलन किया है। अन्ना के सहयोगी संजय पठाडे ने बताया कि 1990 में अन्ना ने 44 दिन का मौन व्रत किया था। लेकिन इस बार अन्ना 90 दिन तक मौन व्रत रखे। इस दौरान वह कागज पर अपनी बात लिखकर बात करते थे।