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लॉकडाउन के 5वें चरण की घोषणा और 'अनलॉक -1' पर उप राष्ट्रपति ने लिखी फेसबुक पर भावुक पोस्ट
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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
अनलॉक 1.0 - लॉकडाउन से मुक्ति का पहला चरण : इस आज़ादी का सावधानी से उपयोग करें. मानव जीवन को संचालित करने वाले दो प्रमुख कारक होते हैं - देश और काल (अर्थात स्थान और समय)। हमारा जीवन इन्हीं दो कारकों में अभिव्यक्त होता है।
इन दोनों में से, समय हमारे वश में नहीं है.... वह अपनी गति से चलता रहता है, हम उसे नियंत्रित नहीं कर सकते। लेकिन स्थान (देश) पर हमारा नियंत्रण है। किसी भी स्थान विशेष में लोगों की घूमने-फिरने की आजादी को कम-ज्यादा किया जा सकता है। चूंकि देश में ही सब सामाजिक- आर्थिक गतिविधियां होती है, अतः यह स्वाभाविक है कि जीवन को संपूर्णता में जीने के लिए हम अपने स्वातंत्र्य के दायरे के विस्तार का प्रयास करते हैं।
लॉकडाउन के प्रथम चरण से लेकर, कल रात सरकार द्वारा घोषित उसके पांचवे चरण (जिसे लोग अनलॉक 1.0 भी कह रहे हैं), तक की यह यात्रा, देश की जनता द्वारा स्वयं के लिए अधिक स्वतंत्र दायरे की न्यायोचित मांग की द्योतक है। 25 मार्च के बाद से ही, अगले 68 दिनों तक देश की 130 करोड़ जनता ने कोरोना वायरस को बाहर रखने के लिए, स्वयं को स्वेच्छा से अपने घरों में प्रायः बंद कर रखा था। कल से उस खोई हुई आज़ादी, अपने उस स्वच्छंद दायरे, को वापस पाने की शुरुआत होगी। लंबी बंदी के बाद लोग बाहर निकलेंगे। इस बार प्रतिबंधों की सूची में न केवल कमी की गई है बल्कि उन्हें मुख्यतः प्रतिबंधित कन्फाइनमेंट ज़ोन तक ही समेट दिया गया है। लेकिन सभी लोगों को अनलॉक 1.0 में प्राप्त इस आज़ादी का बड़ी सावधानी और ज़िम्मेदारी से उपयोग करना है।
लॉक डाउन 1.0 के दौरान 130 करोड़ जनसंख्या के लगभग 7 लाख गावों तथा 4500 से अधिक शहरों, नगरों और मेट्रो शहरों पर लगे प्रतिबंधों को, इस नवीनतम संस्करण में कुछ ही कन्फाइनमेंट ज़ोन तक सीमित कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार, देश में अब सिर्फ 6000 कंटेनमेंट ज़ोन रह गए हैं जो प्रायः उन 13 शहरों में हैं जहां कुल संक्रमण के 70% केस पाए गए तथा इनमें 6 प्रादेशिक राजधानियां भी सम्मिलित हैं। ये देखते हुए कि इनमें से हर कंटेनमेंट ज़ोन की जनसंख्या कुछ सौ से ले कर कुछ हजार तक ही होगी, कल से शुरू होने वाली महीने भर की बंदी से बहुत कम ही लोग प्रभावित होंने की संभावना है। शेष अधिकांश जनसंख्या के लिए उनके आज़ादी के दायरे में बहुत बड़ा विस्तार हुआ है जिसमें वे स्वयं को अभिव्यक्त कर सकते हैं।
18 मई के बाद से लॉक डाउन 4.0 के दौरान हर दिन संक्रमण की दैनिक संख्या में नई तेज़ी देखने को मिली। जिस दिन अनलॉक 1.0 की घोषणा की गई उसी दिन 8000 नए मरीजों के साथ संक्रमण की दैनिक संख्या में सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की गई।ये बढ़ती संख्याएं, बंदी के बाद क्रमशः बाहर निकलने के लिए जरूरी सावधानी के प्रति हमें आगाह कर रही हैं। ये हमें सचेत करती हैं कि अनलॉक 1 .0 की आज़ादी का उपयोग सावधानी पूर्वक करना होगा अन्यथा इस आज़ादी पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
कोरोना के कारण विगत दो माह की बंदी ने हमें बता दिया कि जीवन कितना बेशकीमती है, कितनी जल्दी और कितनी आसानी से उसपर खतरा आ सकता है, और उस खतरे के दौर में जीवन कैसे जिया जाता है।
सार्थक जीवन का अर्थ है किसी भी चीज़ की अति न की जाय बल्कि अनुपात का संतुलन बनाए रखा जाय। जीवन को सावधानी से जीयें और यही सिद्धांत अनलॉक 1.0 के दौरान हमारे आचरण और व्यवहार पर भी लागू होगा, जैसे जैसे हम कोरोना के कारण जीवन में आए व्यवधान से उबरने के कोशिश करेंगे।
केंद्र के साथ मिल कर कोरोना के विरुद्ध अभियान में राज्यों की भूमिका सराहनीय रही है। अनलॉक 1.0 के दौरान उन्हें निर्णय के अधिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, अतः उनकी भूमिका भी अधिक महत्वपूर्ण होगी। विश्वास है हम सफल होंगे।