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क्या चुनावों से पहले हो रही घोषणाएं मतदाताओं को प्रलोभन नही!

Shiv Kumar Mishra
16 Feb 2023 8:42 AM GMT
क्या चुनावों से पहले हो रही घोषणाएं मतदाताओं को  प्रलोभन नही!
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रेवड़ियां बांटने में सभी पार्टियां आगे!

रमेश शर्मा

ठीक से तो शायद नहीं मगर जहां तक स्मृति में है अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा के चुनाव में मतदाताओं को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं देने की घोषणा करने की शुरुआत की थी। जब केजरीवाल ने पहली बार दिल्ली में बिजली और पानी मुफ्त में देने की घोषणा की थी तब विपक्षी दलों में उसको एक मजाक के रूप में लिया था।

लेकिन दिल्ली में सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ने केवल अपने द्वारा की गई घोषणाओं को बाकायदा क्रियान्वित किया बल्कि ऐसी अन्य सुविधाओं को भी आगे जारी रखते हुए महिलाओं को मेट्रो में फ्री यात्रा और जनता अस्पताल जैसी सुविधाएं देकर मतदाताओं में अपना विश्वास कायम रखा। और अब यह स्थिति हो गई कि अन्य बड़े जल्दी ऐसे ही घोषणा करके मतदाताओं को प्रभावित करने में पीछे नहीं है।

उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में लैपटॉप बांटने स्कूटी बांटने जैसी कई बातें सामने आई थी। खुद केजरीवाल ने पंजाब में भी विधानसभा चुनाव में घोषणाओं काम पर लगाया था और भी कामयाब हुए। अगर राजस्थान की बात की जाए तो गहलोत सरकार ने भी पिछले बजट में बिजली बिलों में छूट देने, एक सीमा तक बिजली के बिल अपने जैसी घोषणा की थी जो क्रियान्वित भी हुई और 10 फरवरी को घोषित बजट में इन सुविधाओं में वृद्धि करने की घोषणा की।

जिसमें मुफ्त इलाज की सीमा में भी लाखों रुपए की बढ़ोतरी की। मगर बात की जाए भारतीय जनता पार्टी की तो मेघालय मैं चुनावी मेनिफेस्टो में बेटी पैदा होने पर पचास हजार की राशि का बोंड देने, स्नातक तक पढ़ाई फ्री और दो मुफ्त सिलेंडर देने की घोषणा की है। यह घोषणा करते हुए बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा लोकलुभावन वादे भी किए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने मेघालय में 7वां वेतन आयोग लागू करने का फैसला किया है। साथ ही, हम किसानों के लाभ के लिए पीएम-किसान सम्मान निधि योजना के तहत वार्षिक वित्तीय सहायता को दो हजार रुपए तक बढ़ाएंगे।

कुल मिलाकर यह समझने वाली बात होगी कि यह सब घोषणा प्रलोभन की श्रेणी में नहीं आती हैं। इस से भी बढ़ कर बात समझनी होगी कि सरकार जो कुछ भी घोषणा करती है उनका खर्चा जिस खजाने से उठाती है वह खजाना भी जनता द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से दिए गए टैक्स से ही एकत्रित होता है। देखने वाली बात यह होगी कि यह सब कुछ देख कर आने वाले समय में होने वाले चुनाव में मतदाता की सोच क्या रहती है और किसके पक्ष में मतदान करेगा।

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