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BBC Documentary: बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, याचिकाकर्ता बोले- फैसला मनमाना और असंवैधानिक
BBC Documentary Ban: बीबीसी (BBC) की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' (India: The Modi Question) पर लगे बैन को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज शुक्रवार को सुनवाई होगी। डॉक्यूमेंट्री के बैन पर रोक के खिलाफ टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण और एडवोकेट एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री गुजरात दंगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनाई गई है, जिसे केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। याचिका में केंद्र सरकार का डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने के फैसले को मनमाना और असंवैधानिक बताया है।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि बीबीसी की ये डॉक्यूमेंट्री में 2002 के गुजरात दंगों पर बनाई गई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच की गई है। क्योंकि गुजरात दंगों के समय पीएम मोदी प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री में दंगे रोकने में असफल रहे लोगों से जुड़े बहुत से फैक्ट्स दिखाए गए हैं। जिसे आईटी रूल 2021 के नियम 16 के तहत बैन किया गया है।
केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ एन राम, महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण और एडवोकेट एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की दो जजों वाली पीठ आज करेगी। एडवोकेट एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बैन के फैसले को "दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक" बताया था।
इसके साथ ही डॉक्यूमेंट्री पर बैन के अलावा इसको शेयर करने वाले सभी लिंक वाले भी ट्विटर से हटवा दिए गए थे। केंद्र सरकार के ट्वीट्स को हटाने के फैसले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार एनराम और वकील प्रशांत भूषण ने एक अन्य याचिका दायर की है। बता दें कि बीबीसी ने 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नाम से दो भाग की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है। इस डॉक्यूमेंट्री के पहले भाग के आते ही इस पर विवाद शुरू हो गया। बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री में 2002 के गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। इसमे दावा किया गया है कि गुजरात दंगों के दौरान की गई कुछ पहलुओं की जांच रिपोर्ट का नरेंद्र मोदी हिस्सा हैं। वहीं केंद्र सरकार ने इसे प्रोपेगेंडा बताया है। इसके बाद से ही देश भर में इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद हो रहा है।