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Vice Presidential Election : भाजपा का क्या है धाकड़ प्लान, जगदीप धनखड़ की उम्मीदवारी के क्या हैं मायने? ममता की जीत या कुछ और?

Arun Mishra
17 July 2022 6:34 PM IST
Vice Presidential Election : भाजपा का क्या है धाकड़ प्लान, जगदीप धनखड़ की उम्मीदवारी के क्या हैं मायने? ममता की जीत या कुछ और?
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अब बीजेपी ने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर भी ऐसी चाल चल दी है कि विपक्ष के लिए संभलना मुश्किल हो गया लगता है

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बीजेपी ने एक चाल से न सिर्फ विपक्ष को चित्त कर दिया है बल्कि इस कदम से ममता बनर्जी की सियासत को करारा तमाचा जड़ दिया है। ये वही ममता बनर्जी हैं जिन्होंने राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर यशवन्त सिन्हा को मैदान में उतारा और खुद को विपक्षी सियासत के केंद्र में बिठाने की कवायद की। मगर, यशवंत सिन्हा घिसे पिटे उम्मीदवार साबित हुए। खुद यूपीए के कई दलों ने उनसे किनारा कर लिया। क्या झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, क्या शिवसेना के दोनों गुट और फिर बीजेडी से लेकर वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी तक- सब द्रौपदी मूर्मू के दीवाने दिखे। यह बीजेपी की रणनीति थी कि विपक्ष मजबूत होने के बजाए बिखरा दिखा।

अब बीजेपी ने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर भी ऐसी चाल चल दी है कि विपक्ष के लिए संभलना मुश्किल हो गया लगता है। जगदीप धनखड़ वर्तमान में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं लेकिन दुनिया जानती है कि कैसे उन्होंने ममता बनर्जी की नाक में दम कर रखा है। वे राज्यपाल कम और बीजेपी के नेता ज्यादा नज़र आते रहे हैं।

राज्यपाल तो सत्यपाल मलिक भी हैं लेकिन उनके तेवर कुछ ऐसे रहे कि इधर वे रिटायर करेंगे और उधर उनके दरवाजे पर सीबीआई और ईडी दस्तक दे रही होगी। मगर, जगदीप धनखड़ वैसे वाले राज्यपाल नहीं हैं। इनकी कटेगरी आरिफ मोहम्मद खान वाली है। वो तो बीजेपी की नीति में किसी मुसलमान को उच्च पद पर विराजमान नहीं करने का अघोषित नियम है अन्यथा उनकी भी बारी आ सकती थी।

जगदीप धनखड़ सही मायने में राजनीतिज्ञ रहे हैं। वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। पहली बार राजस्थान के झुंझुनू से जनता दल के टिकट पर सांसद बने थे। बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। 11 साल कांग्रेस में रहे। फिर बीजेपी से विधायक बने। मतलब ये कि उनकी सियासत का ग्राफ लगातार ऊंचा-नीचा होता रहा। दल बदलने में उन्हें कभी संकोच नहीं हुआ।

वक्त जब बदला। बीजेपी ने जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर जिम्मेदारी दी तो उन्होंने भांप लिया कि यह भूमिका अब गैर राजनीतिक नहीं रह गयी है। यहां भी उन्हें कुछ करना होगा। वे लगातार कुछ करते रहे। ममता बनर्जी परेशान रहीं। बीजेपी नेतृत्व के सामने उनके नंबर बढ़ते रहे। एक्टिव गवर्नर के तौर पर खुद को साबित कर देने के बाद अब उन्हें एक्टिव वाइस प्रेसिडेंट के रूप में भूमिका दी जा रही है।

बीजेपी जिस तरीके से पूर्व वाइस प्रेसिडेंट हामिद अंसारी को राजनीतिक व्यक्ति बताते हुए पेंट करने में जुटी है, उसकी तैयारी के तौर पर वह भी एक ऐसे व्यक्ति को वाइस प्रेसेडेंट बनाने जा रही है जिसका करियर भी ऐसा नहीं रहने वाला है कि कोई उंगली ना उठा सके। जब उंगली उठती है तो धनखड़ का ग्राफ बढ़ता है।

एक बात और, जगदीप धनखड़ राजस्थान से हैं जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। वे जाट हैं जो बीते दिनों लगातार केंद्र सरकार से नाराज़ रहे और किसान आंदोलन के केंद्र में रहे। जाट तो सत्यपाल मलिक भी हैं। लेकिन हमने कहा ना...जगदीप धनखड़ तो धनखड़ हैं। उनकी सानी नहीं।


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