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एमजे अकबर और यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला पत्रकारों के बीच दिलचस्प कानूनी जंग के आसार
नई दिल्ली। विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर और उनपर पर यौन शोषण के आरोप लगाने वाली महिला पत्रकारों के बीच दिलचस्प कानूनी जंग के आसार पैदा है गए हैं. अकबर पर सबसे पहले आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के समर्थन में 20 महिला पत्रकार खुलकर सामने आ गईं हैं. इन्होंने ये साझा बयान में रमानी का समर्थन करने का ऐलान किया है साथ ही अदालत से आग्रह किया कि अकबर के खिलाफ उन्हें सुना जाए. ये सभी सभी पत्रकार 'द एशियन एज' अखबार में काम कर चुकीं हैं।
इऩ महिला पत्रकारों ने दावा किया है कि उनमें से कुछ का अकबर ने यौन उत्पीड़न की शिकार रहीं हैं और बाक़ी इसकी गवाह हैं. इन महिला पत्रकारों ने अपने दस्तख़्त वाले साझा बयान में कहा है, 'रमानी अपनी लड़ाई में अकेली नहीं हैं. हम मानहानि के मामले में सुनवाई कर रही माननीय अदालत से आग्रह करते हैं कि याचिकाकर्ता के हाथों हममें से कुछ के यौन उत्पीड़न को लेकर और अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं की गवाही पर विचार किया जाए जो इस उत्पीड़न की गवाह थीं.' अकबर पर अब तक 15 महिला पत्रकारो ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं. लेकिन उन्होंने मानहिना का मुकदम सिर्फ एक के खिलाफ किया है. ऐसे में बाकियों का उनके साथ आना अकबर के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
साझा बयान पर दस्तखत करने वाली महिला पत्रकारों में मीनल बघेल, मनीषा पांडेय, तुषिता पटेल, कणिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार बादाम, होइहनु हौजेल, आयशा खान, कुशलरानी गुलाब, कनीजा गजारी, मालविका बनर्जी, ए टी जयंती, हामिदा पार्कर, जोनाली बुरागोहैन, मीनाक्षी कुमार, सुजाता दत्ता सचदेवा, रेशमी चक्रवाती, किरण मनराल और संजरी चटर्जी शामिल हैं।
एमजे अकबर के आपराधिक मानहानि का नोटिस भेजने के कुछ घंटे बाद ही प्रिया रमानी ने एक बयान जारी कर कहा था, 'सत्य और पूर्ण सत्य ही उनका इसके खिलाफ एकमात्र डिफेंस है. मैं इस बात से बेहद दुखी हूं कि केंद्रीय मंत्री ने कई महिलाओं के आरोपों को राजनीतिक षडयंत्र बताते हुए खारिज कर दिया। मेरे खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला बनाकर अकबर ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है. अपने खिलाफ कई महिलाओं द्वारा लगाए गए गंभीर अपराधों पर सफाई देने की बजाए वह उनको धमकाकर और प्रताड़ित कर चुप कराने की कोशिश करते दिख रहे हैं.'
एम जे अकबर मे 80 के दशकमें बतौर पत्रकार अपन कैरिर सउरु किया था. वो दैनिक अखबार 'द टेलीग्राफ' और पत्रिका 'संडे' के संस्थापक संपादक रहे हैं. साल 1989 में राजनीति में आने से पहले वो मीडिया में एक बड़ी हस्ती के रूप में जाने जाते थे. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर बिहार की किशनगंज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बने. उस जॉमाने में वो राजीव गांधी के करीबी हुआ करते थे. वो कांग्रेस के प्रवक्ता भी रेह. साल 1991 राजीव गांधी की हत्या के बाद वो पार्टी में खुद को असहज महसूस करने लगे थे. लिहाज़ा 1992 में उन्होंने राजनीति को अलविदा कहा और फिर से पत्रकारिता मे लौट आए. साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वो बीजेपी में शामिल हुए थे. मध्य प्रदेश से राज्यसभा पहुंचे अकबर को जुलाई 2016 में विदेश राज्य मंत्री बनाया गया. तब से वो इसी पद पर हैं.