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पिछले महीने हुए सेना के हेलिकॉप्टर हादसे को लेकर वायुसेना ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में हादसे को लेकर कई महत्वपूर्ण तथ्य व सिफारिशें हैं। बता दें कि इसका विस्तृत प्रजेंटेशन भी रक्षा मंत्री को दिया गया। इसमें हादसे के कारणों पर भी विस्तार से जानकारी दी गई।
बता दें कि आठ दिसंबर को हुए हादसे में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत 13 सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी। हादसे में 13 सैन्य अधिकारियों के अलावा जनरल रावत की पत्नी मधुलिका रावत की भी मृत्यु हो गई थी। मृतकों में रावत के रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के स्टाफ ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह और ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह शामिल थे। तमिलनाडु के कुन्नूर के समीप हुए इस हादसे की जांच तीनों सेना की संयुक्त समिति ने की थी। जांच रिपोर्ट में दुर्घटना के कारणों को लेकर समिति ने अपने नतीजों से राजनाथ सिंह को अवगत कराया है। इसमें वीआईपी उड़ान के लिए भविष्य के हेलिकॉप्टर संचालन के लिए सिफारिशें भी की हैं।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार जांच समिति ने रूस में निर्मित Mi-17V5 helicopter हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की जांच पहले ही पूरी कर ली थी। पहले सूत्रों ने कहा था कि भारतीय वायु सेना का उक्त हेलिकॉप्टर किसी तकनीकी त्रुटि के कारण हादसे का शिकार नहीं हुआ। हालांकि इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। दुर्घटना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की अध्यक्षता एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह ने की।
बता दें कि भारतीय नौसेना के एक वरिष्ठ हेलिकॉप्टर पायलट दुर्घटना की जांच का हिस्सा थे और उन्होंने जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय वायु सेना के अधिकारी एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली ट्राई-सर्विस जांच समिति ने हादसे की जांच की है। जांच समिति ने रक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों को ले जाने वाले हेलिकॉप्टरों के संचालन के दौरान मानक संचालन प्रक्रियाओं को संशोधित करने के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं।
दुर्घटना के कारणों की बात करें तो बताया गया है कि Mi-17V5 पहाड़ियों में एक रेलवे लाइन के पास उड़ रहा था, तभी वे अचानक उभरे घने बादल में घुस गए। मिडिया रिपोर्टस में छपी खबरों के अनुसार हेलिकॉप्टर कम ऊंचाई पर उड़ रहा था और इलाके को जानने के बाद यह जानकारी सामने आ रही है कि बावजूद इसके चालक दल ने विमान उतारने का फैसला नहीं किया। ऐसे में विमान एक चट्टान से टकरा गया।
चालक दल 'मास्टर ग्रीन' श्रेणी का था
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार चूंकि पूरा चालक दल 'मास्टर ग्रीन' श्रेणी का था, ऐसा लगता है कि उन्हें भरोसा था कि वे स्थिति से बाहर निकलने में सक्षम होंगे, क्योंकि आपात स्थिति का सुझाव देने के लिए ग्राउंड स्टेशनों पर कोई कॉल नहीं किया गया। मीडिया में छपी खबरों के अनुसार तीन बलों के परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर बेड़े में सर्वश्रेष्ठ पायलटों को 'मास्टर ग्रीन' श्रेणी दी जाती है। इन पायलटों को कम दृश्यता में विमान उड़ाने और उतारने में महारत हासिल होती है।
इसके अलावा, जांच समिति द्वारा की गई सिफारिशों में कहा गया है कि भविष्य में, चालक दल में मास्टर ग्रीन और अन्य श्रेणी के पायलट होने चाहिए, ताकि यदि आवश्यक हो, तो वे जमीन पर स्टेशन से मदद ले सकें। एयर मार्शल एम सिंह की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने कई अन्य सिफारिशें भी की हैं।