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नागरिकता संशोधन बिल 2016 को लेकर एनडीए में मचा हाहाकार, चार दलों ने दी चेतावनी बीजेपी से रिश्तों पर करेंगे पुनर्विचार
नागरिकता संशोधन बिल 2016 को लेकर उपजे मतभेद के बाद असम गण परिषद द्वारा राज्य की बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद अन्य बीजेपी सहयोगियों ने भी तल्ख तेवर दिखाए हैं। मेघालय के सीएम कोनार्ड संगमा ने बुधवार को कहा कि इस बिल का लोकसभा में पास होना दुर्भाग्यपूर्ण है और वह भविष्य की रणनीति तय करने के लिए पार्टी नेताओं के साथ चर्चा करेंगे। हालांकि, एजीपी या संगमा ही सार्वजनिक तौर पर केंद्र के मोदी सरकार के फैसले का विरोध नहीं कर रहे। त्रिपुरा, नगालैंड, मिजोरम आदि की कम से कम तीन क्षेत्रीय पार्टियों ने भी बिल के कुछ प्रावधानों को स्थानीय समूहों के लिए खतरा बताया है। ये पार्टियां बीजेपी के 11 दलों वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (NEDA)का हिस्सा हैं। बिल के लोकसभा में पास होने के बाद इन पाटियों ने कहा है कि वे गठबंधन को लेकर भविष्य की योजना पर चर्चा करेंगे।
संगमा ने मेघालय में कहा,हमने कैबिनेट और सरकार की तौर पर इस बिल को लेकर चिंताएं व्यक्त की हैं। बहुत पहले एक प्रस्ताव भी पास किया था। हम किसी भी तरीके से इसका समर्थन नहीं करते। गठबंधन में बहुत सारी पार्टियां हैं, भविष्य की रणनीति तय करनी होगी। हमें कैसे आगे बढ़ना है, इस पर हम फैसला करेंगे। बता दें कि एनपीपी मेघालय के सत्ताधारी मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (MDA) सरकार की अगुआई करती है। बीजेपी भी इस गठबंधन की घटक पार्टी है। 60 सदस्यों वाली विधानसभा में एनपीपी के पास 20 सीटें हैं। कांग्रेस के पास भी 20 सीटें हैं। मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस के पास कुल 38 सीटें हैं, जहां बीजेपी के पास दो सीटें हैं।
वहीं, बीजेपी की एक अन्य गठबंधन सहयोगी, इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) ने भी बिल का विरोध किया है। IPFT के असिस्टेंट जनरल सेक्रेटरी मंगल देब बर्मा ने कहा, हम लोकसभा में बिल के पास होने के मुद्दे पर मीटिंग करने जा रहे हैं और भविष्य की रणनीति तय करेंगे। बता दें कि बीते साल बीजेपी ने 35 सीटें जीती थीं और IPFT को त्रिपुरा के 59 सीटों में से 8 पर जीत मिली थी। बिल के पास होने वाले दिन त्रिपुरा में काफी प्रदर्शन हुए थे। पुलिस के मुताबिक, इस दौरान हुई हिंसा में कम से कम 4 लोग घायल हो गए थे। प्रदर्शनकारियों का दावा था कि 6 लोगों को गोली लगी थी।
वहीं, मिजोरम के सीएम जोरमथंगा ने कहा, हम लोकसभा में बिल पास होने से बेहद खफा हैं। हम उम्मीद करते हैं कि यह राज्यसभा में पास नहीं होगा। अगर ऐसा होता है तो हमें सावधानी पूर्वक अपने अगले कदम पर राय मशविरा करना होगा। बता दें कि जोरमथंगा की मिजो नैशनल फ्रंट (MNF) ने हाल ही में हुए राज्य चुनावों में 26 सीटें जीती थीं। पार्टी ने राज्य चुनाव में बीजेपी का जोरशोर से विरोध किया था, लेकिन यह NPP और IPFT की तरह NEDA की संस्थापक सदस्य है।
वहीं, नगालैंड में बीजेपी ने चीफ मिनिस्टर नेफ्यू रियो की नैशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के साथ गठबंधन किया है। सोमवार को कैबिनेट ने बैठक करके बिल पर चर्चा की। बाद में जारी प्रेस नोट में कहा गया कि कैबिनेट ने केंद्र सरकार से दरख्वास्त की है कि बिल के प्रावधानों पर दोबारा से विचार किया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह संविधान के प्रावधानों के मुताबिक हो।