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पुस्तक समीक्षा: तर्क और कल्पना के पंख लगाए उड़ते यथार्थ का साम्राज्य हैं 'खंड 1: आह्वान'

Shiv Kumar Mishra
5 Dec 2020 2:42 AM GMT
पुस्तक समीक्षा: तर्क और कल्पना के पंख लगाए उड़ते यथार्थ का साम्राज्य हैं खंड 1: आह्वान
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यदि आप थ्रिलर, रहस्य, रोमांच में कुछ अलग हटकर पढ़ने की इच्छा रखते हैं तो 'आह्वान' से अच्छी पुस्तक मिलना मुश्किल है। उम्मीद है कि उपन्यास का अगला भाग 'आह्वान' के लिए कड़ी चुनौती होगा।

दिल्ली : लम्बे समय के बाद कुछ ऐसे उपन्यास आते हैं जो पाठकों के दिमाग की धज्जियाँ उड़ाने के साथ उन्हें कल्पना के संसार की अद्भुत सैर कराते हैं।

सौरभ कुदेशिया द्वारा लिखित महाभारत पौराणिक रहस्य गाथा का प्रथम खंड आह्वान एक ऐसा उपन्यास है जो अपने पहले पन्ने से लेकर अंतिम पन्ने तक आपके रोंगटे खड़े रखता है और फिर अपनी गहरी छाप आपके दिलों-दिमाग पर लम्बे समय के लिए छोड़ता है। 'आह्वान' की कहानी शुरू होती है रोहन और उसके बेटे की मौत के बाद अजीब तरीके से मिली उसकी वसीयत से जो उनके जीवन की कुछ डरावनी घटनाओं से जुड़ने लगती है। वसीयत के रहस्यों की खोज करता उसका परिवार धीरे-धीरे इतिहास के पन्नों में छुपे कुछ ऐसे अनकहे सच के निकट पहुँचता है जिसके चप्पे-चप्पे पर मौत हावी होती है।

पाठकों के हर अनुमानों को कदम-कदम पर तगड़ी पटखनी देने वाला यह उपन्यास कई मायनों में विलक्षण प्रयोग है। लेखक की कल्पना शक्ति अभूतपूर्व है, साथ ही कल्पना को शब्दों में उतारने की उनकी क्षमता। यह उपन्यास जीता-जाता उदाहरण है कि किस प्रकार साधारण शब्दों से रहस्य और रोमांच का विस्तृत साम्राज्य खड़ा होता है। घटनाओं के रोंगटे खड़े करने वाले जीवंत वर्णन आपकी आत्मा झकझोरते हुए आपको कहानी का हिस्सा बना देते हैं। साधारण सी दिखने वाली कहानी कब मर्डर मिस्ट्री से इतिहास, पुराण, धर्म और अध्यात्म के आयामों से जुड़कर कल्पना के पंखों पर सवार होकर एक अकल्पनीय विराट रूप लेती है उसे मात्र पढ़कर ही महसूस किया जा सकता है।


आजकल जो लेखक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर जैसे-तैसे कल्पना का छौंका लगाकर उसे पौराणिक कथाओं के नाम पर पाठकों को परोस देते हैं, उनके लिए 'आह्वान' तथ्यों के आधार पर कल्पनाओं को मजबूती प्रदान करने का एक बेहतरीन सबक है। सौरभ जी की कलम पर गहरी पकड़ कहानी की रफ्तार कहीं भी कम नहीं होने देती है। शुरुआत में तनिक कमजोर लगने वाले हिस्से कहानी के आगे बढ़ने के साथ जब अपना रंग दिखाते हैं तो दांतों तले उंगली अपने आप दब जाती है। एक बार शुरू करने के बाद उपन्यास हाथों से जो चिपकता है तो पूरा पढ़े बिना हाथों से नहीं छूटता है।

यदि आप थ्रिलर, रहस्य, रोमांच में कुछ अलग हटकर पढ़ने की इच्छा रखते हैं तो 'आह्वान' से अच्छी पुस्तक मिलना मुश्किल है। उम्मीद है कि उपन्यास का अगला भाग 'आह्वान' के लिए कड़ी चुनौती होगा।

पुस्तक प्राप्ति लिंक: https://www.amazon.in/dp/9387464857/




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