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बुद्ध की शिक्षाएं 'वसुधैव कुटुम्बकम' के संदेश को आगे बढ़ाती हैं : जी. किसन रेड्डी
पीआईबी दिल्ली : गुरु पूर्णिमा और 'आषाढ़ पूर्णिमा- धम्म चक्र दिवस' के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में संस्कृति मंत्रियों ने भाग लिया. बौद्ध धर्म में सिर्फ बौद्धों के लिए ही नहीं, बल्कि हर किसी के लिए काफी कुछ है. प्रधानमंत्री ने भारत की बौद्ध विरासत के पोषण और प्रचार के लिए शानदार प्रयास किए हैं.
संस्कृति और पर्यटन मंत्रालयों ने आईबीसी के साथ मिलकर नवंबर, 2021 में भारत में एक अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन करने की योजना बनाई है.
जी किशन रेड्डी ने गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर दो सांस्कृतिक हस्तियों– सरोज वैद्यनाथन और उमा शर्मा को सम्मान दिया. केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि बुद्ध की शिक्षाएं वसुधैव कुटुम्बकम –विश्व एक परिवार है- के संदेश को आगे बढ़ाती हैं और बौद्ध धर्म न सिर्फ बौद्धों बल्कि हर किसी के लिए काफी कुछ की पेशकश करता है। 'आषाढ़ पूर्णिमा- धम्म चक्र दिवस' की पूर्व संध्या पर एक वीडियो संदेश में उन्होंने बताया कि इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। उन्होंने कहा, "इस दिन हम अपने गुरुओं के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा न सिर्फ दुनिया भर के बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए एक बलिदान दिवस है, बल्कि यह पूरी मानव जाति के लिए एक महत्वपूर्ण दिवस है।" इसी दिन, ढाई हजार वर्ष पहले, गुरु के रूप में बुद्ध ने अपने पांच शिष्यों को अपना पहला उपदेश दिया था, जो बाद में उनके अनुयायी बन गए थे। एक बार उनकी शिक्षा पूरी होने के बाद बुद्ध ने सुनिश्चित किया कि इसका लाभ मानवता को भी प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के नजदीकी संबंध हैं।
जी. किसन रेड्डी ने कहा, "गुरु पूर्णिमा का संबंध महाभारत के लेखक वेद व्यास की जयंती से भी है। आज भी, बुध का अष्टांग मार्ग मानवता को दिशा दिखाता है। यह वैश्विक समुदाय को साथ-साथ शांतिपूर्वक रहने के लिए एक दृष्टिकोण और मार्गदर्शन उपलब्ध कराता है।" केंद्रीय मंत्री ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह संगठन दुनिया भर के बौद्ध अनुयायियों को एक मंच उपलब्ध कराने में सहायक रहा है।