- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
क्या देश में बच्चों को लगाईं जा सकेगी है फाइजर की वैक्सीन?, जाने क्या बोले एम्स के डायरेक्टर
देश में 2 से 18 साल के बच्चों पर कोवैक्सिन के ट्रायल जारी हैं। इस बीच बच्चों के लिए एक और वैक्सीन जल्द मिलने की उम्मीदें बढ़ गई है। AIIMS डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि अमेरिकी कंपनी फाइजर की वैक्सीन भी बच्चों को लगाई जा सकेगी।
गुलेरिया ने CNN-न्यूज 18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ये पहला मौका नहीं है, जब भारत ने किसी वैक्सीन को बिना ट्रायल के ग्रीन सिग्नल दिया हो। केंद्र ने पहले भी ऐसी वैक्सीन को मंजूरी दी है, जिन्हें अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, WHO द्वारा इमरजेंसी यूज की मंजूरी दी जा चुकी है। ऐसे में हमें लगता है कि जल्द ही भारत में वयस्कों और बच्चों के लिए एक और वैक्सीन मौजूद होगी। फाइजर का टीका जल्द भारत आने वाला है।
इस बीच, ब्रिटेन में 12 से 15 साल के बच्चों को फाइजर बायोएनटेक की वैक्सीन को ड्रग रेगुलेटर ने मंजूरी दे दी है। मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी की CEO जून राइन ने बताया कि फाइजर की वैक्सीन सुरक्षित और असरदार है। इससे पहले यूरोपीयन यूनियन और अमेरिका में इस एज ग्रुप के लिए फाइजर को मंजूरी मिल चुकी है।
पहले फाइजर का डेटा नहीं था, अब मौजूद है: गुलेरिया
गुलेरिया ने बताया कि फाइजर और मॉडर्ना जैसी वैक्सीन को भारत लाने में शुरुआती देरी इसलिए हुई, क्योंकि वैक्सीन के बारे में कोई डेटा नहीं था। उन्होंने कहा कि अब हमारे पास इस बात का डेटा है कि ये वैक्सीन कितनी सेफ है। पहले यूरोप में इसके साइड इफेक्ट की खबरें आई थीं। अब अमेरिका और ब्रिटेन में वैक्सीनेशन का डेटा मौजूद है। जब हमारी कमेटी को ये पता चल गया कि भारत में इसका इस्तेमाल सेफ रहेगा, तो इसे लाने को लेकर मंजूरी दी गई।
बच्चों पर स्वदेशी टीके का ट्रायल जारी
2 से 18 साल के बच्चों के लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का ट्रायल जारी है। 525 स्वास्थ्य वॉलंटियर्स पर इस वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है। पहली डोज देने के 28 दिन बाद इन वॉलंटियर्स को दूसरी डोज दी जाएगी। ट्रायल के दौरान कोवैक्सिन का इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि ये ट्रायल रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि बच्चों पर कोवैक्सिन का ट्रायल नरसंहार की तरह होगा।
मॉडर्ना और फाइजर पर अभी क्या स्थिति है?
मॉडर्ना और फाइजर उन कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत सरकार से अपील की थी कि वह हर्जाने और इमरजेंसी यूज की इजाजत देने के बाद होने वाले लोकल ट्रायल की बाध्यता को खत्म करे।