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दिल्ली सांप्रदायिक दंगों से जुड़े मामलों में अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाना चाहिए : कोर्ट
नई दिल्ली : दिल्ली दंगों के मामले में कल भी एक अभियुक्त को रिहा करते हुए जज साहब ने दिल्ली पुलिस की बखिया उधेडी -- चार्जशीट में लिखा की दुकान -मकान विस्फोटक सामग्री से उड़ा दिए गये- लेकिन न तो उसका कोई प्रमाण न ही गवाह .
दिल्ली दंगे के एक मामले में अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सांप्रदायिक हिंसा के मामला को अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाना चाहिए‚ लेकिन इसके साथ ही व्यावहारिक बुद्धि की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। ॥ उक्त टिप्पणी करते हुए कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने २२ वर्षीय आरोपी जावेद को बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता के बयान से स्पष्ट नहीं हो रहा है की अपराध हुआ था। जावेद पर आग या विस्फोटक पदार्थ से क्षति पहुंचाने का आरोप था।
न्यायाधीश ने कहा कि यह अदालत इस तथ्य से अवगत है कि सांप्रदायिक दंगों से जुड़े मामलों में अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाना चाहिए। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि व्यावहारिक बुद्धि छोड़ दी जाए। पेश दस्तावेजों में उपलब्ध चीजों के संबंध में दिमाग लगाया जाना चाहिए। उन्होंने यह बात उत्तर–पूर्वी हिस्से में हुए दंगों से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान कही। मामले के अनुसार जावेद को चार लोगों की शिकायत के आधार पर गत वर्ष अप्रैल महीने में गिरफ्तार किया गया था।
शिकायतकर्ताओं ने पुलिस से कहा था कि गत वर्ष २५ फरवरी को दंगाई भीड़ ने उनके घर‚ गोदाम और दुकानों में तोड़फोड़ की और लूटपाट की थी। लेकिन अदालत ने इस बात पर गौर किया कि घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। कोई सीसीटीवी फुटेज या तस्वीर नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जाए की तोड़फोड़ या लूटपाट हुई थी। अदालत ने इस बात का भी संज्ञान लिया की शिकायतकर्ताओं ने भीड़ के आग लगाने या विस्फोटक पदार्थ से क्षति पहुंचाए जाने के बारे में एक शब्द भी कहा हो। दिल्ली दंगे से जुड़े़ मामले की सुनवाई के दौरान अदालत की टिप्पणी अदालत ने आरोपी जावेद को बरी कर दिया घटना का कोई चश्मदीद गवाह या कोई सीसीटीवी फुटेज या तस्वीर नहीं
- पंकज चतुर्वेदी