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चीन को दोहरी चाल, एक तरफ शांति की बातें दूसरी तरफ सीमा पर किया युद्धाभ्यास
एक बार फिर चीन वही कर रहा है जिसके लिए कुख्यात है। ड्रैगन एक मुंह से शांति की बातें कर रहा है तो दूसरी तरफ युद्ध का फूंफकार छोड़कर दबाव बनाने की कोशिश। लद्दाख में भारतीय सेना से तनातनी के बीच चीन की पीपल लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने एक बड़े युद्धाभ्यास का दावा किया है। सीमा विवाद को लेकर बीतचीत के बीच ही चीन की सेना ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध की तैयारी परख रही है। चीन की सरकारी मीडिया इस युद्धाभ्यास की तस्वीरें और वीडियो जारी करके प्रोपेगेंडा फैला रही है और सेना की शक्ति का प्रदर्शन कर रही है।
चाइना सेंट्रल टेलीवीजन (सीसीटीवी) के मुताबिक, पीएलए ने अज्ञात स्थान पर किसी ऊंचे वाले स्थान पर यह युद्ध अभ्यास किया है। सैनिकों और साजो सामान को देश के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित हुबेई प्रांत से मूव किया गया। इससे चीन संदेश देना चाहता है कि वह लद्दाख जैसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र के लिए तैयारी कर रहा है।
सीसीटीवी के मुताबिक इस पूरे अभ्यास को महज कुछ घंटों में अंजाम दिया गया। यह चीन की क्षमता को दिखाता है कि किस तरह जरूरत पड़ने पर सैन्य साजो सामान को ऊंचे युद्ध में तेजी से पहुंचाया जा सकता है। बताया गया है कि सिविलियन एयरलाइन्स, रोड और रेलवे के जरिए हजारों सैनिकों को अज्ञात स्थान पर ले जाया गया, जो उत्तर पश्चिम ऊंचाई वाले इलाके में है और हुबेई से हजारों किलोमीटर दूर है। सीसीटीवी ने यह भी कहा कि कोरोना का केंद्र रहा हुबेई अब पूरी तरह सामान्य है और यहां सैनिक युद्धाभ्यास और युद्ध के लिए तैयार हैं। सीसीटीवी ने कहा है कि इस युद्धाभ्यास के दौरान कुछ ही घंटों में सैन्य साजो-सामान, बख्तरबंद गाड़ियों और सैनिकों को युद्धक्षेत्र में पहुंचाने की तैयारी को परखा गया।
Several thousand soldiers with a Chinese PLA Air Force airborne brigade took just a few hours to maneuver from Central China's Hubei Province to northwestern, high-altitude region amid China-India border tensions. https://t.co/dRuaTAMIt0 pic.twitter.com/CtRJRk13IO
— Global Times (@globaltimesnews) June 7, 2020
क्या है चीन की रणनीति?
चीन मामलों के जानकारों का कहना है कि चीन का दोहरा रवैया कोई नई बात नहीं है। यह उसकी पुरानी रणनीति का हिस्सा है। वह एक तरफ दुनिया के सामने शांति की बात करता है तो दूसरी तरफ इस तरह के युद्ध अभ्यास और शक्ति प्रदर्शन से सामने वाले पक्ष पर दबाव बनाने की कोशिश करता है।
शांति से समाधान को दी है सहमति
चीन भारत और चीन के राजनयिकों में शुक्रवार को शांति से विवाद सुलझाने की सहमित बनी तो शनिवार को दोनों देशों के लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के सैन्य अधिकारियों के बीच करीब साढ़े पांच घंटे तक बातचीत हुई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और चीन द्विपक्षीय समझौतों तथा दोनों देशों के नेताओं द्वारा दिए जाने वाले दिशानिर्देशों के अनुरूप सीमा मसले के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सैन्य तथा राजनयिक वार्ता जारी रखने पर सहमत हो गए हैं। विदेश मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर दोनों देशों की उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता के परिणामों की जानकारी साझा करते हुए यह बात कही।
दोनों देशों की सेनाओं के सैन्य कमांडरों ने शनिवार को उच्च हिमालयी क्षेत्र में महीने भर से चले आ रहे गतिरोध को सुलझाने के प्रयास में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीन के भूभाग की तरफ माल्डो में विस्तृत वार्ता की। विदेश मंत्रालय ने कहा, ''बैठक सौहार्दपूर्ण तथा सकारात्मक माहौल में संपन्न हुई और दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि उक्त मुद्दे के जल्द समाधान से दोनों देशों के बीच संबंधों का और अधिक विकास होगा।
सीमा पर साजो-सामान बढ़ाने में जुटा है चीन
पिछले महीने की शुरुआत में गतिरोध पैदा होने के बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया था कि भारतीय जवान पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के आक्रामक रवैये के खिलाफ दृढ़ रुख अपनाएंगे। सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना एलएसी के निकट अपने पीछे के सैन्य अड्डों पर रणनीतिक रूप से जरूरी चीजों का धीरे-धीरे भंडारण कर रही है, जिनमें तोप, युद्धक वाहनों और भारी सैन्य उपकरणों आदि को वहां पहुंचाना शामिल है। बताया जा रहा है कि चीन ने उत्तरी सिक्किम और उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे कुछ क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति बढ़ाई है, जिसके बाद भारत भी अतिरिक्त सैनिकों को भेजकर अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है।
भारतीय क्षेत्र में निर्माण से बौखलाया चीन
सूत्रों का कहना है कि मौजूदा गतिरोध के शुरू होने की वजह पैंगोंग सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत द्वारा एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण का चीन द्वारा तीखा विरोध है। इसके अलावा गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग को जोड़ने वाली एक और सड़क के निर्माण पर चीन के विरोध को लेकर भी गतिरोध है। पैंगोंग सो में फिंगर क्षेत्र में सड़क को भारतीय जवानों के गश्त करने के लिहाज से अहम माना जाता है। भारत ने पहले ही तय कर लिया है कि चीनी विरोध की वजह से वह पूर्वी लद्दाख में अपनी किसी सीमावर्ती आधारभूत परियोजना को नहीं रोकेगा।
3488 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवाद
भारत-चीन सीमा विवाद 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी को लेकर है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है, वहीं भारत का इस पर अपना दावा है। दोनों पक्ष कहते रहे हैं कि सीमा मसले का अंतिम समाधान जब तक नहीं निकलता, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाये रखना जरूरी है।