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बड़ी खबर: प्रियंका गाँधी बनेंगी कांग्रेस की अध्यक्ष जल्द!
पिछले डेढ़ महीने से नए अध्यक्ष की तलाश में जुटी कांग्रेस को अभी तक नया अध्यक्ष नहीं मिल पाया है। इस मुद्दे पर पार्टी लगातार असमंजस में दिखाई दे रही है। कांग्रेस के अंदरूनी ख़ेमों से ख़बरें आने लगी हैं कि वरिष्ठ नेताओं का एक गुट अब प्रियंका गाँधी को अध्यक्ष बनाने की कवायद में जुट गया है। इसके लिए नेताओं ने पार्टी के भीतर और बाहर भूमिका तैयार करनी शुरू कर दी है। पिछले कुछ दिनों से इस बात के संकेत मिल रहे हैं। कुछ नेताओं ने खुले तौर पर प्रियंका को पार्टी की कमान सौंपने की बात कही है।
राहुल निष्क्रिय, प्रियंका सक्रिय
लोकसभा के चुनाव नतीजे आने के बाद हुई पहली कार्यसमिति की बैठक में इस्तीफ़े की पेशकश करने के बाद राहुल गाँधी ने पार्टी गतिविधियों से ख़ुद को अलग कर लिया था। लेकिन ट्विटर पर अपना इस्तीफ़ा सार्वजनिक करने के बाद से राहुल गाँधी एकदम निष्क्रिय से हो गए हैं। हालाँकि, इसके बाद राहुल अमेठी जाकर मतदाताओं को धन्यवाद देकर आए हैं। इसके अलावा आरएसएस की तरफ़ से उन पर दायर किए गए मुक़दमों के सिलसिले में अदालत में हाज़िर होने के लिए वह ज़रूर कुछ जगहों पर गए हैं लेकिन पार्टी के कार्यक्रमों में उन्होंने हिस्सा नहीं लिया है। हाल ही में उन्होंने कार्यकर्ताओं से बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में लोगों की मदद करने के लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील ज़रूर की है।
राहुल के उलट प्रियंका गाँधी अपने भाई के इस्तीफ़े के बाद अचानक सक्रिय हो गई हैं। प्रियंका पिछले कुछ दिनों से ताबड़तोड़ ट्वीट करके सुर्खियों में बनी हुई हैं। वह उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पर जमकर हमले भी कर रही हैं।
इसे उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है। गुरुवार को प्रियंका ने एक के बाद एक चार ट्वीट किए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण 2001 की एक तसवीर है। इसमें वह अपने बेटे को गोद में लिए विश्व प्रसिद्ध लोकतांत्रिक गाँधीवादी नेता नेल्सन मंडेला के साथ दिखाई दे रही हैं। 2 दिन पहले प्रियंका ने शादी की सुर्ख साड़ी में अपनी तसवीर पोस्ट की थी। इससे पहले प्रियंका गाहे-बगाहे ही ट्वीट करती रही हैं। उनकी सक्रियता के कई मतलब निकाले जा रहे हैं।
कार्यसमिति की बैठक का टलना
अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बार-बार टल रही है। बैठक कब बुलाई जाएगी इसे लेकर 22 तारीख़ को फ़ैसला होना है। सूत्र बताते हैं कि कार्यसमिति की बैठक में अगर नए अध्यक्ष के नाम पर फ़ैसला नहीं हुआ तो पार्टी संचालन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करके नए अध्यक्ष का चुनाव 6 महीने से लेकर साल भर तक टाला जा सकता है। इस बीच प्रियंका गाँधी को कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपने की भूमिका पूरी तरह तैयार की जा सकती है। सभी प्रदेशों से इस बाबत प्रस्ताव माँगे जा सकते हैं। देशभर के कार्यकर्ताओं से पुरजोर माँग करवाई जा सकती है।
वैकल्पिक व्यवस्था?
बगैर अध्यक्ष के पार्टी संचालन में आ रही दिक़्क़तों के मद्देनज़र पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच इस बात को लेकर सहमति बनी है कि जब तक नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता तब तक सभी महासचिव और स्वतंत्र प्रभारियों को अपने-अपने प्रभार वाले राज्यों में चुनाव की तैयारियों से जुड़े महत्वपूर्ण फ़ैसले लेने के लिए पूर्ण रूप से अधिकृत कर दिया जाए ताकि उन्हें रोज़मर्रा के फ़ैसलों के लिए आलाक़मान का मुँह न ताकना पड़े। इस वक़्त कांग्रेस में 11 महासचिव और 20 स्वतंत्र प्रभारी हैं।
आसान नहीं प्रियंका को अध्यक्ष बनाना
पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के बड़े गुट का मानना यह है कि मौजूदा हालात में प्रियंका गाँधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाना आसान नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि राहुल गाँधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के बाद साफ़ तौर पर कहा है कि वह या उनके परिवार से किसी को पार्टी का अध्यक्ष नहीं बनाया जाए। परिवार से बाहर ही किसी को अध्यक्ष चुना जाए। परिवार से बाहर किसी एक नेता के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। न ही कोई नेता आगे आकर अध्यक्ष पद जैसी बड़ी ज़िम्मेदारी लेने को तैयार दिख रहा है। ऐसे में राहुल और सोनिया, दोनों की रज़ामंदी के बगैर प्रियंका गाँधी को अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी देना नामुमकिन है।
क्या प्रियंका तैयार हैं?
राहुल की जगह प्रियंका अध्यक्ष बनने को राज़ी होंगी, इस बात की संभावना भी कम लगती है। वह भी राहुल को अध्यक्ष पद नहीं छोड़ने के लिए और बाद में दोबारा अध्यक्ष पद पर वापस आने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर चुकी हैं। प्रियंका गाँधी की वकालत कर रहे नेताओं का कहना है कुछ वक़्त गुज़रने के बाद राहुल और सोनिया भी प्रियंका के नाम पर हामी भर देंगे। इन नेताओं को लगता है कि जैसे राहुल गाँधी ने इस्तीफ़े की ज़िद पर अड़ कर पार्टी की अगुवाई की ज़िम्मेदारी से ख़ुद को अलग कर लिया है ठीक उसी तरह अगर लंबे समय तक नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं होता है तो राहुल गाँधी या तो ख़ुद पार्टी की कमान संभालने को राज़ी होंगे या फिर प्रियंका को अध्यक्ष बनाने के पार्टी के फ़ैसले पर मुहर लगाएँगे। इसी रणनीति के तहत नए अध्यक्ष के फ़ैसले में देरी की जा रही है।
डेढ़ महीने में पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए कई नए नाम बताए गए और बाद में उन्हें ख़ारिज़ कर दिया गया। अब प्रियंका के नाम की चर्चा शुरू हुई है। यह देखना दिलचस्प होगा है कि यह चर्चा पुख्ता ख़बर में तब्दील होती है या फिर सिर्फ़ चर्चा बन कर रह जाएगी।