राष्ट्रीय

कांग्रेस का दलित कार्ड और राहुल की यात्रा, 12 राज्य 325 विधानसभा पर करेगी बीजेपी का सफाया!

Shiv Kumar Mishra
1 Oct 2022 6:05 PM IST
Mallikarjun Kharge, Leader ,Opposition, Rajya Sabha, contender, post, Congress President
x

Mallikarjun Kharge, Leader ,Opposition, Rajya Sabha, contender, post, Congress President

कांग्रेस पिछले आठ साल से बीजेपी से चुनाव लड़ने में अक्षम साबित हुई। बीच में राहुल गांधी ने तीन राज्यों में सरकार भी बनाई लेकिन उससे उनको कामयाबी नहीं मिली। कारण चाहे जो रहे राजनीत में सत्ता पाने के लिए कुछ भी करना पड़े लेकिन सत्ता बनी रहे इस बात को कांग्रेस को बीजेपी से सीखना पड़ेगा ठीक उसी तरह जब इंदिरा जी के जमाने में बीजेपी सीखती रही लेकिन कामयाब नहीं हुई। अब यही हाल कांग्रेस का है। हालांकि सत्ता, ताकत , जवानी कभी स्थाई नहीं होते है। समय आने पर खिसक जाते है।

फिलहाल कांग्रेस एक अंतरदवंद में फंसी हुई थी लेकिन उसने अंतिम समय पर दलित मल्लिकार्जुन खरगे के नाम पर अध्यक्ष बनने की सहमति जताई है। हालांकि अभी चुनाव प्रस्तावित है। फिलहाल दो उम्मीदवार चुनावी मैदान में है। शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खरगे में चुनाव होगा जबकि तीसरे उम्मीदवार के एन त्रिपाठी का पर्चा निरस्त हो गया है।

जहां बीजेपी पिछले चुनाव में दलित राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के नाम पर 2019 का चुनाव लड़ी और तबसे दलित एससी एसटी वोट पर बीजेपी काम कर रही है। उसी नक्शे कदम पर कांग्रेस भी चल पड़ी है। अब बीजेपी के पास फिलहाल बड़ी भूमिका में कोई दलित चेहरा नहीं है अगर बात करें तो राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में एक दर्जन मंत्री दलित समुदाय से हैं. इनमें से हर मंत्री अलग SC कम्युनिटी से है। वहीं अब कांग्रेस ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खरगे को उम्मीदवार बनाकर एक मिशल कायम की है। हालांकि इससे पहले कांग्रेस में बाबू जगजीवन राम इस भूमिका में रह चुके है। वहीं देश के सबसे बड़े राज्य की कमान भी कभी मायावती के खासमखास रहे बृजलाल खाबरी को सौंप दी है और बसपा के दो बड़े नेता उनके साथ जोड़े है जो संगठन के माहिर खिलाड़ी माने जाते है, जिनमें नसिमुद्दीन सिद्दीकी और नकुल दुवे।

कांग्रेस अब अपने पुराने फॉर्मूले पर काम कर रही है जिसमें ब्राह्मण दलित मुस्लिम गठजोड़ रहा है। अब ये तीनों समुदाय कांग्रेस छोड़ चुके है। कांग्रेस फिलहाल अगर इस पर कुछ कदम भी आगे बढ़ेगी तो इसका नुकसान बीजेपी को ही उठाना पड़ेगा चूंकि सब जगह बीजेपी ही सत्ता और लोकसभा में है। जिस तरह से भारत जोड़ो यात्रा को कर्नाटक में सहयोग मिल रहा है और केरल में मिला है उससे राहुल में जोश भरता नजर या रहा है हालांकि असली परीक्षा तो यात्रा की महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश , मध्यप्रदेश राजस्थान दिल्ली , हरियाणा , पंजाब , जम्मू कश्मीर में होगी। अगर यात्रा में लोग इसी तरह जुडते रहे तो फिर कांग्रेस जिन 320 सीटों को टारगेट बनाकर यह यात्रा कर रही है वो काफी बड़ा काम होगा।

12 राज्य और 320 लोकसभा सीटें , महीने, जिनका कम से कम पच्चीस दिन और बढना तय है अर्थात 175 दिन

हर जिले में पांच सौ और कहीं कहीं दो हज़ार तक लोग चिन्हित किये जा रहे हैं। जो साथ चलते हैं, बात करते हैं, सभा या भोजन या विश्राम के समय प्रबंधन करते हैं बहुत से लोग मिडिया और सोशल मिडिया देख रहे हैं। उनका भी का रिकार्ड बाकायदा कम्प्यूटर में दर्ज हो रहा है। ये जो तुर्रे बाज हैं न कि हमने इंदिराजी को फलन सलाह दी थी , हम राजीव जी के साथ थे, हम सोनिया जे की किचन केबिनेट में थे , मैनें पंजाब जिताया , मैंने कोर्ट में जिताया , सभी के विकल्प है। कभी केरल से रम्या जैसे सांसद को देखें। यह यात्रा असल में "टीम राहुल" वह भी बगैर बाप के दम पर सियासत में आये लोगों की, बनने की क्रांतिकारी प्रक्रिया है। यात्रा में चल रहे हर एक का व्यवहार, उत्साह, योगदान कहीं दर्ज किया जा रहा है। बहुत से लोगों को पता है। अब उनकी मनसबदारी दो साल से ज्यादा नहीं हैं कि बेटा , बाप को रिप्लेस करेगा यह भी नहीं चलेगा। बहुत से छिटक गए , और भी जायेंगे - जो अभी तक सफे में अव्वल लगते थे , अब पिछलग्गू कहलायेंगे - कहलाये जा रहे हैं।

अभी तक बाईस दिन में दस हज़ार भविष्य के नेता चीन्ह लिए गए हैं। प्रक्रिया लम्बी है , एक साल चलेगी। राज्यों के चुनाव अपरिणाम कुछ भी हो . लेकिन गुजरात से अरुणाचल प्रदेश भी होगा -- अध्यक्ष ईमानदारी से पूर्णकालिक ही बनने जा रहा है जो जमीनी आंकड़ों से नई पार्टी बनाएगा - यह नया प्रयोग है आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस नहीं जमीन पर उतर कर चयन का । ये वे लोग हैं जो भीड़ में, समूह में काम आकर सकते हैं।

अब देखना यह होगा कांग्रेस के यह नए प्रयोग कितने काम आएंगे लेकिन कुछ न कुछ होगा जरूर। फिलहाल कांग्रेस की यात्रा से बीजेपी में हड़कंप जरूर मचा हुआ है। उधर दलित चेहरे के बाद और बेचैनी बढ़ेगी।

Next Story