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Coronavirus Lockdown: हटाने के लिए सरकार ने बनाई नई 'रणनीति', बनाये जा रहें रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन- जानें इसके मायने

Shiv Kumar Mishra
12 April 2020 11:05 AM GMT
Coronavirus Lockdown: हटाने के लिए सरकार ने बनाई नई रणनीति, बनाये जा रहें रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन- जानें इसके मायने
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सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, 3 महीने EMI न दे पाने वालों से नहीं लिया जाए ब्याज

नई दिल्ली: कोरोनावायरस (Coronavirus) के चलते मॉरीटोरियम अवधि के दौरान लोन की किश्त की अदायगी में ब्याज की छूट दिए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि बैंक और वित्तीय संस्थान अपने कर्ज में ग्राहकों से मॉरीटोरियम अवधि के दौरान ब्याज न लें. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने मार्च के सर्कुलर में इसकी घोषणा की है, लेकिन अभी तक यह एक घोषणा ही है क्योंकि मॉरीटोरियम अवधि में ब्याज देय है.

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि नियमित किश्त के साथ अतिरिक्त ब्याज का भुगतान करने का कोई अर्थ नहीं है. इसलिए राज्य का कर्तव्य है कि संकट के इस समय में उधारकर्ताओं को छूट दी जाए. जब लोगों की नौकरियों पर संकट हो और उनसे आय छीन ली गई हो तो ऐसे में उपभोक्ताओं को छूट दी जानी चाहिए.

बताते चलें कि कोरोनावायरस और उसके आर्थिक प्रभावों से निपटने के लिए सरकार के बाद RBI ने बड़ा कदम उठाया है. आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में 0.75 प्रतिशत की कटौती की. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shakti Kant Das) ने कहा था कि रेपो दर को मौजूदा समय में 5.15 प्रतिशत से घटाकर 4.4 प्रतिशत किया गया है.

मौद्रिक नीति समिति (MPC) के 6 सदस्यों में से चार ने इस कदम के पक्ष में वोट किया है. इससे होम लोन समेत अन्य कर्जों की ईएमआई में कमी आने की उम्मीद है. आर्थिक नरमी को दूर करने के लिए आरबीआई इससे पहले भी कई बार नीतिगत ब्याज दर में कटौती कर चुका है. साथ ही बैंकों को दरों में पर्याप्त कटौती करने का भी निर्देश दिया था.

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