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Death Anniversary of Rajiv Gandhi: गांधी के बाद सबसे बड़ी अंत्येष्टि राजीव की, राजीव जी अंतिम यात्रा कवर करने वाले पत्रकार ने लिखी भावुक स्टोरी

Shiv Kumar Mishra
21 May 2023 5:50 AM GMT
Death Anniversary of Rajiv Gandhi: गांधी के बाद सबसे बड़ी अंत्येष्टि राजीव की, राजीव जी अंतिम यात्रा कवर करने वाले पत्रकार ने लिखी भावुक स्टोरी
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Death Anniversary of Rajiv Gandhi

सच में मुट्ठी में पकड़ी रेत की तरह से निकल जाता है वक्त। राजीव गांधी की मृत्यु को 32 साल हो गए। 21 मई 1991 को हुई हत्या से सारी दुनिया स्तब्ध थी। पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और संजय गांधी की शव यात्राओं में भी जनता की भागेदारी बहुत थी। पर राजीव गांधी की शवयात्रा को बहुत बड़ी शवयात्रा के रूप में याद किया जाता है। हालांकि इस लिहाज से दिल्ली में महात्मा गांधी से बड़ी शव यात्रा किसी ने नहीं देखी।

राजीव गांधी की अंत्येष्टि वाले दिन राजधानी में भीषण गर्मी का प्रकोप था। सूरज देवता शोले बरसा रहे थे। इसके बावजूद शवयात्रा के मार्ग पर भारी भीड़ थी। अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए दक्षिण एशिया समेत संसार के अनेक देशों के नेता और अहम शख्सियतें दिल्ली आईं थीं।

दूर-दूर शरीफ और बेनजीर

पाकिस्तान से प्रधानमंत्री नवाज शऱीफ और उनकी राजनीतिक शत्रु बेनजीर भुट्टो भी आए। ये दोनों हमवतन तब एक दूसरे से दूर-दूर रहे। पर अब शरीफ के छोटे भाई शाहबाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं और बेनजीर भुट्टो के पुत्र शरीफ के विदेश मंत्री। यानी गुजरे दौर के शत्रुओं ने अपनी राजनीतिक अदावत को भुला दिया है। वे अब साथ-साथ हैं।

बहरहाल, राजीव गांधी का पार्थिव शरीऱ जनता के दर्शनों के लिए तीन मूर्ति भवन में रखा था। वहां पर ये दोनों पाकिस्तानी नेता लगभग एक साथ पहुंचे पर एक दूसरे बात किए बगैर ही निकल गए। इसके बाद ये वीर भूमि पर भी एक-दूसरे से नजरे चुराते रहे थे। ये उन दिनों की बातें हैं जब इनकी पार्टियां क्रमश: मुस्लिम लीग और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी एक-दूसरे से नफरत करती थीं। बेनजीर भुट्टो तो अब दिवंगत हो गई हैं। वह भी एक आतंकी हमले का शिकार हुईं थीं। नवाज शरीफ लंदन में हैं।

राजीव गांधी की अंत्येष्टि 24 मई, 1991 को हुई थी। उसमें बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया और फिलीस्तीन मुक्ति संगठन के प्रमुख यासरअराफात ने भी भाग लिया था। अराफात तो बार-बार फफक कर रो भी पड़ते थे। उनके गांधी परिवार से व्यक्तिगत संबंध थे। राजीव गांधी की अंतिम यात्रा 24 मई को तीन मूर्ति से राजधानी के मुख्य मार्गों से होते हुए राजघाट के पास वीर भूमि में अपने गंतव्य पर पहुंच रही थी। सड़क के दोनों तरफ अपार जनसमूह अपने अजीज नेता के अंतिम दर्शनों के लिए खड़ा था। 24 मई से पहले ही राहुल गांधी अमेरिका से वापस भारत आ चुके थे। राहुल उन दिनों अमेरिका में ही पढ़ते थे। राजधानी में शक्तिस्थल पर अंत्येष्टि कीतैयारियां पूरी हो गईं थी।

राजीव गांधी 20 मई, 1991 को कहां थे

राजीव गांधी की हत्या से देश स्तब्ध था। राजीव गांधी ने 20 मई,1991 को दिल्ली के निर्माण भवन में अपना लोकसभा चुनाव के लिए वोट डाला था। अब भी देश को वह तस्वीर याद है, जब राजेश खन्ना कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी और सोनिया गांधी को उनका वोट डलवाने में मदद कर रहे हैं। राजेश खन्ना वह चुनाव नई दिल्ली सीट से लाल कृष्ण आडवाणी के खिलाफ लड़ रहे थे।

वह राजधानी में राजीव गांधी की अंतिम तस्वीर थी। वहां पर राजधानी के मशहूर सोशल वर्कर और राजेश खन्ना के सहयोगी सुनील नेगी खड़े थे। उसके अगले ही दिन यानी 21 मई, 1991 को राजीव गांधी की एक बम धमाके में हत्या कर दी गई थी। घटना तमिलनाडू के श्रीपेरम्बदूबर में हुई थी। देश ने इस जगह का पहले कभी नाम भी नहीं सुना था। धमाके में राजीव गांधी का शरीऱ छलनी हो गया था। उसके आसपास कुछ और शव भी पड़े। राजीव गांधी के मृत शरीर को तमिलनाडू कांग्रेस के नेता जी.के. मूपनार और जयंती नटराजन भय और अविश्वास के मिले-जुले भाव से देख रहे थे। इस तरह के फोटो अखबारों में छपे थे। राजीव गांधी की मौत से सारा देश सन्न था। सोनिया गांधी,प्रियंका गांधी और परिवार के मित्र सुमन दूबे वगैरह चैन्नई (तब मद्रास) से राजीव गांधी के शव को लेकर दिल्ली आ गए थे। तय हुआ कि उनका अंतिम संस्कार 24 मई, 1991 को होगा।

अलविदा कहने का वक्त

और अब वक्त आ गया था राजीव गांधी को अलविदा कहने का। शाम सवा पांच बजे अपार जनसमूह के सामने अंत्येष्टि वैदिक मंत्रोचार के बीच शुरू हुई। सोनिया गांधी काला चश्मा पहने अपने पुत्र राहुल को अपने पिता की चिता पर मुखाग्नि देने के कठोर काम को सही प्रकार से करवा रहीं थीं। जो भी उस मंजर को देख रहा था, उसका कलेजा फट रहा था। अमिताभ बच्चन भी वहां पर थे। तब तक उनके गांधी परिवार से मधुर संबंध थे। अंत्येष्टि के दौरान बनारस से खासतौर पर आए पंडित गणपत राय राहुल गांधी और अमिताभ बच्चन को बीच-बीच में कुछ समझा रहे थे। राजेश खन्ना लगातार रो रहे थे। करीब डेढ़ घंटे तक चली थी अंत्येष्टि। राजीव गांधी को अंतिम विदाई देने के कई दिनों के बाद भी देश में उदासी छाई रही थी।

विवेक शुक्ला

नोट: मैने राजीव गांधी की शव यात्रा को ITO से कवर किया था हिंदुस्तान और Evening News के लिए।

Shiv Kumar Mishra

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