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Muslim education report:दिल्ली के मुसलमान शिक्षा-रोजगार में सबसे पीछे, एक रिसर्च में हुआ खुलासा

Yusuf Ansari
30 April 2023 7:55 AM IST
Muslim education report:दिल्ली के मुसलमान शिक्षा-रोजगार में सबसे पीछे, एक रिसर्च में हुआ खुलासा
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इस रिसर्च का निष्कर्ष यह है कि केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार मुसलमानों के विकास को लेकर गंभीर नहीं है।

* 15% पुरुष और 30% महिलाएं अनपढ़

* 15% बच्चों ने कभी नहीं देखा स्कूल का मुंह

* 45% का स्कूल छूटा तो दोबारा नहीं गए

* 50% से ज्यादा वक्फ संपत्तियों पर गैरकानूनी कब्जा

* अल्पसंख्यकों के विकास का बजट रह गया आधा

नई दिल्ली। दिल्ली के मुसलमान शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने में सबसे फिसड्डी हैं। उनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व आबादी के अनुपात में बहुत कम है। कई इलाकों में मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर है। यह चौंकाने वाला खुलासा दिल्ली में मुसलमानों की स्थिति पर किए गए एक अध्ययन में हुआ है। इसे जामिया मिल्लिया इस्लामिया के चार प्रोफेसरों ने मिलकर किया है। 10 पेज की यह पूरी ये रिपोर्ट रविवार को जारी की जाएगी।

इस रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में सभी धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों में मुसलमान शैक्षिक रूप से सबसे ज्यादा पिछड़े हैं। मुस्लिम समाज में 14.79% लोग पूरी तरह निरक्षर हैं। जबकि 40.82% मुसलमानों ने 12वीं तक की पढ़ाई की है। जबकि 13.97% ने स्नातक या उससे ऊपर की पढ़ाई की है। मुसलमानों पर अध्यन करने वाले प्रोफेसरों ने ये डाटा राष्ट्रीय सैंपल सर्वे संगठन के 75 में राउंड के आंकड़ों से लिया है‌। इस सर्वे में दिल्ली में मुस्लिम महिलाओं की शैक्षिक स्थिति और भी बदतर आई गई है। 30% मुस्लिम महिलाएं पूरी तरह अनपढ़ है। यह आंकड़ा मुस्लिम में निरक्षरता के आंकड़े का दो गुना है

इस रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में रह रहे अल्पसंख्यक समुदायों में ईसाई और जैन समुदाय के 100% बच्चे मान्यता प्राप्त स्कूलों में दाखिला लेते हैं। जबकि मुस्लिम समाज के सिर्फ 82% बच्चे ही मान्यता प्राप्त स्कूलों में जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में सभी समुदायों के 86% बच्चे मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ते हैं सिर्फ 14% बच्चे ही अरे तो प्राप्त स्कूलों में नहीं पढ़ पाते। जबकि मुस्लिम समाज में यह आंकड़ा 18% है। इसके कारणों की पड़ताल करते हुए रिपोर्ट कहती है कि मुस्लिम इलाकों से अच्छे स्कूल दूर होने और मुसलमानों की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में दाखिला लेने से महरूम रह जाते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम समाज में 15% बच्चे कैसे हैं जिन्होंने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा इनके अलावा 45% ऐसे लोग हैं जो स्कूल तो गए लेकिन किसी वजह से पढ़ाई जारी नहीं रख सके एक बार स्कूल छोटा तो हमेशा के लिए छूट गया सिर्फ 39.66% मुस्लिम बच्चे ही इस समय दिल्ली के स्कूलों में शिक्षा हासिल करते हुए पाए गए हैं। स्कूल छोड़ चुके बच्चों से बात करने पर पता चला है कि 25% से ज्यादा की पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं है 30% अपने घरेलू कामकाज में व्यस्त हैं। जबकि 10.85% बच्चे ऐसा है जिन्होंने पैसों की कमी की वजह से स्कूल छोड़ा क्योंकि उनके माता-पिता उनकी पढ़ाई का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं।

घर की बात करें तो दिल्ली के मुसलमान इस मामले में सबसे फिसड्डी है हैरत की बात यह है कि शहरी इलाकों में रहने वाले मुसलमान ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मुसलमान मुसलमानों के मुकाबले ज्यादा गरीब है उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है रोजगार में उनकी हिस्सेदारी 43.8% है ज्यादातर मुसलमान कम आमदनी वाले उद्योग धंधों से जुड़े हैं। दिल्ली के दूसरे धार्मिक समूह जैन ईसाई बौद्ध के मुकाबले सरकारी नौकरियों या प्राइवेट कंपनियों में मुसलमानों की हिस्सेदारी सिर्फ 43% है। जबकि ऐसे रोजगार में हिंदू समाज किससे दारी 67% है।

अल्पसंख्यको को मिलने वाली स्कॉलरशिप में भी मुसलमानों की हिस्सेदारी, सिख, जैन और ईसाई समाज के मुकाबले काफी कम है‌। 2020-21 में सिर्फ 17.70% मुस्लिम बच्चे ही दसवीं तक की स्कॉलरशिप हासिल कर पाए। जबकि दसवीं के बाद पढ़ाई करने वाले सिर्फ 23. 27% मुस्लिम बच्चे ही स्कॉलरशिप हासिल कर पाए। स्कॉलरशिप के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई करने वालों में से सिर्फ एक चौथाई यानी 25.06% बच्चों को ही स्कॉलरशिप मिल पाती है।

इस रिसर्च का निष्कर्ष यह है कि केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार मुसलमानों के विकास को लेकर गंभीर नहीं है। शायद यही वजह है कि सच्चर कमेटी की सिफारिशों को अमल में लाने के लिए बनाए गए कार्यक्रमों एमएसडीपी का बजट दिल्ली में आधा कर दिया गया है। जहां 2007-12 तक 11वीं योजना में इसके लिए 26 करोड़ का बजट रखा गया था। वहीं 12वीं योजना में इसे घटाकर सिर्फ 13.63 करोड़ कर दिया गया।

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