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क्या आप जानते है कैसे होती है IPS अधिकारी की ट्रेनिंग?

Shiv Kumar Mishra
7 Sep 2021 11:09 AM GMT
क्या आप जानते है कैसे होती है IPS अधिकारी की ट्रेनिंग?
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शूटिंग से लेकर घुड़सवारी तक के सिखाए जाते हैं गुर

UPSC क्लियर करने का सपना हर पढ़े-लिखे युवा का होता है। लेकिन सबको इसमें कामयाबी नहीं मिल पाती। कई बार UPSC की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स सोचते हैं कि एक बार चयन होने के बाद सब चीजें आसान हो जाएंगी, लेकिन इसके बाद की राह भी आसान नहीं होती है। आज हम आपको DANIPS के IPS अधिकारियों का ट्रेनिंग शेड्यूल बताते हैं।

दिल्ली में होती है ट्रेनिंग: साल 2018 में UPSC एग्जाम क्लियर करने वाली IPS दीपिका ने अपना अनुभव साझा किया था। दीपिका अभी दिल्ली पुलिस में ACP के पद पर सेवाएं दे रही हैं। 'दिल्ली नॉलेज ट्रैक' को दिए एक इंटरव्यू में दीपिका ने बताया, 'DANIPS अधिकारियों की ट्रेनिंग कुल दो साल तक होती है। एक साल अकेडमिक होती है और दूसरे साल फील्ड ट्रेनिंग होती है। दिल्ली के नज़फगढ़ स्थित पुलिस कॉलेज में अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती है।'

दीपिका बताती हैं, 'यहां अधिकारियों की ट्रेनिंग सुबह-सुबह पांच बजे शुरू हो जाती है। सबसे पहले एक साल बहुत कड़ी फिजिकल ट्रेनिंग होती है, जिसमें ग्राउंड में पुशअप से लेकर रस्सा कसी तक करवाई जाती है। करीब आधा घंटे तक परेड सिखाई जाती है। करीब 9.30 बजे तक सभी चीजें पूरी करने के बाद इंडोर क्लास ली जाती हैं। यहां बहुत अलग-अलग तरीके की चीजें होती हैं। यहां हमें भारत के संविधान और IPC धाराओं के बारे में बताया जाता है।'

बकौल दीपिका, 'हम लोगों को इन्हीं क्लासेज़ के दौरान कोर्ट समेत अन्य संवैधानिक संस्थाओं के बारे में जानकारी दी जाती है। दिन खत्म होने से पहले एक बार फिर हम लोग फिजिकल ट्रेनिंग करते हैं। कई बार सप्ताह के अंत में हम लोग कुछ अन्य चीजें भी करते हैं। हम लोगों को फायरिंग भी सिखाई जाती है। स्विमिंग से लेकर घुड़सवारी तक सबको इसमें कवर किया जाता है। इससे ऑफिसर के रूप में हमारी पर्सनालिटी डेवलप होती है। 17 दिनों का भारत दर्शन भी होता है, जिसमें देशभर के अलग-अलग राज्यों में जाकर हम लोग पुलिस सिस्टम सीखते हैं।'

कितनी होती है सैलरी: IPS अधिकारी को 56 हजार 100 रुपए शुरुआती बेसिक सैलरी मिलती है। विभिन्न पदों पर जाकर ये सैलरी बढ़ती जाती है। साथ ही विभिन्न प्रकार की सुख-सुविधाएं भी होती है। इसमें सरकार की तरफ से बीमा, रहने का खर्च और वाहन का खर्चा दिया जाता है। हालांकि ये सभी चीजें पद के हिसाब से तय होती हैं। कई बार शुरुआती समय पर छोटा घर मिलता है जो बाद में पद और जिम्मेदारियों के साथ बदलता रहता है।

Shiv Kumar Mishra

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