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मजबूरी में माफ़ है ईद की नमाज़, दारूल उलूम देवबन्द का फ़तवा
देवबन्द। दारुल उलूम देवबन्द ने फतवा जारी कर कहा है कि लॉकडाउन के चलते घरों में ही नमाज पढ़ी जाए।लॉकडाउन में भी ईद की नमाज की वहीं शर्तें रहेंगी जो जुमे की नमाज़ के लिए पहले बताई जा चुकी हैं।ईद की नमाज ईदगाह और मस्जिदों में न पढ़कर अपने घरों के किसी हिस्सें में ही जमात की शक्ल में अदा करना सही होगा।
फतवे में कहा गया है कि ईद की नमाज़ अदा करने की अगर कोई भी स्थिति न बने और ईद की नमाज़ छूट जाय तो भी परेशान होने की कोई ज़रुरत नहीं क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में ईद की नमाज़ माफ़ है।
फतवे में सलाह दी गयी है घरों में रहकर चार रकत चाश्त की नमाज़ अदा करना सुन्नत होगी।दारुल उलूम देवबन्द के फतवा विभाग ने संस्था के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम अंसारी नोमानी के सवाल पर यह जवाब दिया।
लॉकडाउन पालन करने की हिदायत
दारूल उलूम देवबन्द की बहुत ही अज़ीम शख़्सियत एवं नेक हस्ती मुफ्ती महमूदउल हसन बुलंदशहरी के नेतृत्व की खंडपीठ में शामिल मुफ्ती हबीबुर्रहमान खैराबादी, मुफ्ती वकार अली, मुफ्ती नोमान सीतापुरी, मुफ्ती जैनुल इस्लाम और मुफ्ती फखरुल इस्लाम की खंडपीठ ने जारी फतवे में कहा कि ईद की नमाज तक लॉकडाउन जारी रहने की सूरत में जिस तरह लॉकडाउन में नमाज-ए-जुमा शासन-प्रशासन के निर्देशानुसार मस्जिद या घरों में (पांच-पांच लोगों द्वारा)अदा की जा सकती है।मजबूरी में ईद की नमाज़ माफ़ है।
फतवे में सलाह देते हुए कहा कि जो लोग किसी मजबूरी के तहत ईद की नमाज अदा नहीं कर पाएंगे, उनके लिए नमाज-ए-ईद माफ होगी। मुफ्ती-ए-कराम ने कहा कि अगर ईद-उल-फितर की नमाज अदा करने में जमात का प्रबंध नहीं हो पाता तो अपने ही घरों में रहकर दो या चार रकाअत नमाज-ए-नफल चाश्त की अदा करना बेहतर है।
चाश्त की नमाज़
यह नमाज उस वक्त अदा की जाती है, जब सूरज खूब ऊंचाई पर पहुंचने लगता है। यह समय प्रात: 10 बजे से 11 बजे का वक्त होता है। उलेमा के मुताबिक इसमें दो से लेकर चार रकाअत तक पढ़ी जा सकती हैं।