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कोरोना से कितने मरे सबको पता ,पर ओलावृष्टी से फसल प्रभावित किसी भी न्यूज़ वाले को नही पता
कोरोना से कितने मरे सबको पता है सबकी जुंवा पर याद है, पर ओलावृष्टी से फसल प्रभावित किसी भी न्यूज़ वाले को नही पता है कितनी बरबाद हो गई या ओला गिरने से किसान का नुकसान और मौत की कितनी हो गई. सरकार MSP से कम पर अनाज खरीदेगी और दूसरा बीमा कंपनी क्लेम दे नही रही है आखिर किसान की यह खबर कब हाईलाईट होगी. अपनी बात को रखना सीखो किसान भाइयो नहीं तो काफी देर हो जाएगी. यह बात एक किसान ने लिखी है.
बात भी उसने सही कही है. इस देश में आज पचास से ज्यादा प्रतिशत आबादी किसान की है. लेकिन किसान की बात सुनने को कोई भी आदमी तैयार नहीं है. जिस तरह देश में कोरोना की महामारी को लेकर हडकम्प मचा हुआ है ठीक उसी तरह से किसान भारी बरसात और ओला वृष्टि से अपनी बरबादी को देख चूका है. लेकिन किसी भी आदमी ने न तो धरना दिया न ही देश के प्रधानमंत्री ने आकर कुछ कहा.
हां कोई कहे भी क्यों? किसान केवल वोट देते वक्त याद आता है उसके बाद उसका क्या होगा किसी को नहीं पता है. बात चाहे किसी भी सरकार की हो चुनाव से पहले कर्ज मांफ का प्रलोभन देकर उसे वेबकुफ़ बनाया जाता है उसके बाद उसको झुनझुना थमा दिया जाता है. बात चाहे यूपी , राजस्थान या मध्यप्रदेश की हो. राजनैतिक पार्टी एक दूसरे को बताती है कि उसने ठगा उसने ठगा लेकिन हकीकत में किसने ठगा किसी को नहीं मालुम होता है.
आज भी देश के इस सबसे बड़ी आबादी को कोई मालिक नहीं है जो कहे कि में आपके सामने सबसे पहले इस बड़े वर्ग को राहत दूंगा. अभी ओलावृष्टि से बूरी तरह बरबाद किसान अपनी फसल देखकर रो रहा है. कोई तो आकर उसके आंसू पोंछ लो वरना वो घबराकर अपना दम तोड़ देगा.