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Farmers Protest: किसान संगठनों ने 11वें दौर की बातचीत से पहले खारिज किए केंद्र सरकार के प्रस्ताव
नई दिल्ली : किसान संगठनों ने गुरुवार को 3 कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक टालने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन संबंधी केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर सिंघु बॉर्डर पर एक मैराथन बैठक में यह फैसला लिया। शुक्रवार को सरकार और किसान सगंठनों के बीच 11वें दौर की बैठक से पहले किसानों ने यहा फैसला लिया है। हालांकि एक अन्य किसान नेता ने कहा कि अभी बैठक चल रही है और ऐसा कुछ फैसला नहीं हुआ है।
किसान नेता दर्शन पाल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, 'संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में सरकार द्वारा रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया।' उन्होंने कहा, 'आम सभा में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून बनाने की बात, इस आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में दोहराई गई।'
It's been decided that no proposal of Govt will be accepted until & unless they repeal the laws. In tomorrow's meet (with Govt) we'll say that we've only one demand, repeal the laws & legally authorise MSP. All these have been unanimously decided: Farmer leader Joginder S Ugrahan https://t.co/gsQXrawwEK pic.twitter.com/vwRALVjQBn
— ANI (@ANI) January 21, 2021
बैठक के बाद किसान नेता जेगिंदर एस उग्रहान ने ने कहा, 'यह फैसला लिया गया है कि जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, इसके प्रस्तावों स्वीकार नहीं किया जाएगा। हमारी केवल एक ही मांग है कि कानूनों को वापस लिया जाए और एमएसपी को कानूनों मान्यता दी जाए। आज यही फैसला हुआ है।'
वहीं सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने की खबरों पर भारतीय किसान यूनियन के किसान नेता जगजीत से दल्लेवाल देर शाम मीडिया कहा, ' बैठक जारी है, ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है।' सयुंक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि अब तक इस आंदोलन में 147 किसानों की मौत हो चुकी है। उन्हें आम सभा ने श्रद्धाजंलि अर्पित की। बयान में कहा गया, 'इस जनांदोलन को लड़ते-लड़ते ये साथी हमसे बिछड़े है। इनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।' मोर्चा की बैठक अपराह्र लगभग ढाई बजे शुरू हुई थी।
बुधवार को हुई 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने किसान संगठनों के समक्ष तीन कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था। दोनों पक्षों ने 22 जनवरी को फिर से वार्ता करना तय किया था। इस बीच, उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने वार्ता शुरू कर दी और इस कड़ी में उसने आठ राज्यों के 10 किसान संगठनों से संवाद किया।
The meeting is going on, let a decision be made. No such decision has been taken: Jagjit Singh Dallewal, Bharatiya Kisan Union (BKU) https://t.co/gsQXrawwEK pic.twitter.com/UR5Be6lPKu
— ANI (@ANI) January 21, 2021
उच्चतम अदालत ने 11 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी और गतिरोध को दूर करने के मकसद से चार-सदस्यीय एक समिति का गठन किया था। फिलहाल, इस समिति मे तीन ही सदस्य हैं क्योंकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया था।
सुप्रीम कोर्ट की कमिटी ने 8 राज्यों के 10 किसान संगठनों से की बातचीत
समिति ने एक बयान में कहा कि गुरुवार को विभिन्न किसान संगठनों और संस्थाओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की गई। इसमें कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, और उत्तर प्रदेश के 10 किसान संगठन शामिल हुए। इससे पहले इन कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर किसानों की ओर से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के संदर्भ में दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच दूसरे चरण की बातचीत हुई जो बेनतीजा रही।
आपको बता दें कि हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं। वे नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े कॉरपोरेट घरानों की 'कृपा' पर रहना पड़ेगा। हालांकि, सरकार इन आशंकाओं को खारिज कर चुकी है।