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जबरन धर्म परिवर्तन गैर कानूनी,स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया जा सकता है: उच्च न्यायालय दिल्ली
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की एक याचिका के जवाब में दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि "हर व्यक्ति को अपनी मर्जी से धर्म छोड़ने या नया धर्म अपनाने का अधिaआया कार है. स्वेच्छा से कोई भी धर्म परिवर्तन कर सकता है। कोर्ट सिर्फ तब दखल दे सकता जब किसी के साथ जोर जबरदस्ती किया जाए।
जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में आया है हाई कोर्ट का निर्णय
आजकल देखा जा रहा है कि लोग स्वेच्छा से कम और जबरन धर्म परिवर्तन ज्यादा कर रहे हैं। यह बिल्कुल भी न्यायोचित नहीं है।इसी विषय पर उच्च न्यायालय ने अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।
जानिए बीजेपी नेता ने याचिका में क्या बातें कहीं थीं
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी दायर याचिका में मांग की है कि दिल्ली में धर्म परिवर्तन की लेकर दिशा-निर्देश बनाया जाए. दिल्ली में बड़े पैमाने में धर्म परिवर्तन हो रहा है. इसमें काला जादू का भी इस्तेमाल हो रहा है।
याचिका में आगे कहा गया है कि स्थिति चिंताजनक है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में कई व्यक्ति और संगठन बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कर रहे हैं. सामाजिक रूप से आर्थिक रूप से वंचित लोगों, विशेष रूप से अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के लोगों का बड़े पैमाने पर धर्मांतरण तेजी से बढ़ रहा है. विदेशी वित्त पोषित संगठन विशेष रूप से एससी-एसटी समुदाय से संबंधित सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित वर्गों को लक्षित करके बहुत आसानी से काम करते हैं।
सिर्फ आशंकाओं के आधार पर याचिका दायर नही की जा सकती: हाई कोर्ट
वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है. सिर्फ आशंकाओं के आधार पर याचिका दाखिल की गई है. मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी. याचिका के मुताबिक, किए गए अनुमानों का स्रोत व्यक्तिगत ज्ञान, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का निर्णय, संविधान सभा वाद-विवाद और सरकारी वेबसाइटों से एकत्र की गई जानकारी है।
अब आगे देखने वाली बात होगी की इस महत्वपूर्ण विषय पर हाई कोर्ट का क्या निर्णय होता है।